महाराष्ट्र में ऐसे ही नहीं जुटे सपा के सभी सांसद! MVA से सौदेबाजी के मूड में अखिलेश
Maharashtra Assembly Elections 2024: समाजवादी पार्टी आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (MVA) दोनों को चुनौती देने के लिए कमर कस रही है. इसलिए अब सपा महाराष्ट्र में शक्ति प्रदर्शन भी कर रही है. दरअसल, मुंबई में समाजवादी पार्टी के नेताओं का भारी जुटान हुआ. इसे अब राजनीतिक गलियारों में शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश के सांसदों को महाराष्ट्र में एक ही मंच पर इकट्ठा कर अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र में अपने विस्तार की मंशा जाहिर कर दी है.
कुछ ही महीने में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है. समाजवादी पार्टी ने अब महाराष्ट्र में अपने सहयोगी महाविकास आघाडी को संदेश देना चाहती है कि वह पहले से ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं और इसका फायदा उन्हें महाराष्ट्र में मिलेगा. इससे पहले ही सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आज़मी ने कहा था कि सपा आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 12 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
12 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है सपा
बता दें कि सपा के सभी सांसद शुक्रवार को ही मुंबई पहुंच गए थे. सांसदों का स्वागत करते हुए अबू आसिम आजमी ने कहा कि सपा ने पिछले चुनावों में कांग्रेस से सात सीटें मांगी थीं, लेकिन अंततः गठबंधन से इनकार कर दिया गया था. इस झटके के बावजूद सपा ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़कर भिवंडी और गोवंडी में जीत हासिल की. इस बार आज़मी ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से एमवीए से कम से कम 12 सीटों के लिए बातचीत करने का आग्रह किया है.
आशावादी दिख रहे हैं समाजवादी नेता
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में समाजवादी पार्टी को बंपर बढ़त मिली. पार्टी ने राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 37 सीटों पर जीत हासिल की. इसके बाद से समाजवादी पार्टी के नेता आशावादी दिख रहे हैं और लोकसभा चुनावों में अपनी सबसे बड़ी बढ़त के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में लड़ने के लिए एक दर्जन सीटें पाने का लक्ष्य बना रहे हैं. हालांकि, इससे उनके इंडिया ब्लॉक सहयोगियों, कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) की मुश्किलें बढ़ जाएंगी, जिन्हें सपा को समायोजित करने के लिए अपनी सीटों का हिस्सा छोड़ना होगा.
पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक को साधने में जुटी सपा
सपा के बढ़ते प्रभाव के कारण भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को भी संभावित झटके का सामना करना पड़ सकता है. उत्तर भारतीय मतदाता, जो 2014 से भाजपा के लिए पारंपरिक रूप से गढ़ रहे हैं, ने विभाजन के संकेत दिए हैं. ये वही मतदाता हैं, जिसने भाजपा की पिछली जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सपा का लक्ष्य पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) मतदाताओं को आकर्षित करना है. इन समूहों पर एसपी का ध्यान मुंबई, ठाणे और भिवंडी जैसे उत्तर भारतीय मतदाताओं के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में पर्याप्त समर्थन जुटा सकता है. हाल ही में एक सम्मान समारोह में यूपी के दलित सांसदों ने मुंबई में प्रचार करने की कसम खाई.
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सपा को महाराष्ट्र में मिल चुकी है सफलता
बता दें कि समाजवादी पार्टी का महाराष्ट्र में उत्तर भारतीय मतदाताओं के बीच चुनावी सफलता का इतिहास रहा है. 1995 में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 3 सपा कार्यकर्ता विधायक चुने गए. 1997 तक, मुंबई नगर निगम में सपा के 22 पार्षद चुने गए, जिससे सपा विधान परिषद में एक सदस्य भेजने में सक्षम हो गई.
हाल के वर्षों में अबू आसिम आज़मी ने 2014 में गोवंडी से और फिर 2019 में भिवंडी से रईस अहमद के साथ जीत हासिल की. अबू आसिम आज़मी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि सपा औरंगाबाद और मालेगांव के साथ-साथ मुंबई और ठाणे में भी उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है. इस रणनीतिक विस्तार का उद्देश्य पूरे महाराष्ट्र में सपा के प्रभाव को मजबूत करना है, जो महायुति और एमवीए गठबंधन दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती है.