3 लाख बैठकें, कांग्रेस के नैरेटिव को ‘संविधान सम्मान’ से जवाब…हरियाणा के बाद अब महाराष्ट्र चुनाव के लिए RSS का धांसू प्लान
Maharashtra Election: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने चुनावी रणनीति में बदलाव किया है और मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एक व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू करने की योजना बनाई है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में आरएसएस ने अपनी रणनीति के जरिए बीजेपी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अब, वह महाराष्ट्र में भी उसी तरीके को अपनाने की सोच रहा है.
3 लाख से अधिक बैठकें
आरएसएस की योजना है कि राज्यभर में 3 लाख से अधिक छोटी-छोटी बैठकें आयोजित की जाएं. ये बैठकें लोगों के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाने का प्रयास करेंगी. आरएसएस के सूत्रों के अनुसार, इस बार वे केवल जागरूकता पर ध्यान केंद्रित नहीं करेंगे, बल्कि चुनावी नतीजों पर भी जोर देंगे.
संविधान सम्मान अभियान
एक खास पहल “संविधान सम्मान” है, जो कांग्रेस पार्टी के “संविधान बचाओ” अभियान के नैरेटिव को तोड़ने के लिए बनाया प्लान है. आरएसएस का कहना है कि कांग्रेस ने संविधान का अपमान किया है और समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने में बाधाएं डाली हैं. आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि कांग्रेस ने बाबा साहेब अंबेडकर की शिक्षाओं का सम्मान नहीं किया, जबकि वह आज संविधान के रक्षक होने का दावा कर रही है.
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कार्यक्रम
आरएसएस का दूसरा कार्यक्रम “लोकमत परिष्कर” है, जो लोकतंत्र को मजबूत बनाने पर केंद्रित है. इस कार्यक्रम के तहत, आरएसएस विभिन्न राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों की समीक्षा करेगा और उम्मीदवारों के गुण-दोषों पर चर्चा करेगा.
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RSS का सजग बनो अभियान
तीसरा महत्वपूर्ण अभियान “सजग बनो” है. इसमें आरएसएस मतदाताओं को यह समझाने का प्रयास करेगा कि वोट डालने से पहले सोच-समझकर निर्णय लेना कितना महत्वपूर्ण है. यह अभियान लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखने के महत्व पर जोर देगा. हरियाणा की सफलता को देखते हुए, आरएसएस महाराष्ट्र में भी 3 लाख से अधिक छोटी बैठकें आयोजित करेगा.
इन सभी अभियानों की सफलता भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति के लिए जनसमर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण साबित होगी. इससे न केवल आरएसएस, बल्कि भाजपा की राजनीतिक संभावनाएं भी तय होंगी. इस रणनीति के माध्यम से, आरएसएस उम्मीद कर रहा है कि वह मतदाताओं की सोच को प्रभावित कर सकेगा और 2024 के विधानसभा चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित कर सकेगा. यह चुनाव भारतीय राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है, और आरएसएस की यह पहल इसे और भी दिलचस्प बना सकती है.