PM मोदी का 14 साल पुराना संकल्प साकार, इंसाफ के कटघरे में 26/11 का गुनहगार तहव्वुर राणा

मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी ताकत दिखाई है. राणा का भारत आना न सिर्फ 26/11 के पीड़ितों के लिए इंसाफ की उम्मीद है, बल्कि ये भी दिखाता है कि मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ कितनी सख्त है. चाहे पुलवामा हो या उरी, मोदी ने हमेशा दो टूक कहा, "आतंकवाद बर्दाश्त नहीं!"
PM Modi

पीएम मोदी

26/11 Mumbai Attack: 26/11 के मुंबई हमले ने हर भारतीय के दिल में एक गहरी चोट छोड़ी थी. उस आतंकी साजिश का एक बड़ा चेहरा तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) आखिरकार भारत की धरती पर है. लेकिन इस खबर में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 14 साल पुराना बयान, जो आज सच साबित हुआ. लोग कह रहे हैं, “मोदी ने जो कहा था, वो कर दिखाया!”

2011 में पीएम मोदी ने क्या कहा था?

नरेंद्र मोदी 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे. तब अमेरिका की शिकागो कोर्ट ने तहव्वुर राणा को 26/11 हमले के मामले में बरी कर दिया था. ये फैसला भारत के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था. उस वक्त मोदी ने अपनी बेबाक आवाज में इस फैसले पर सवाल उठाए. 10 जून 2011 को उन्होंने कहा, “किस आधार पर शिकागो कोर्ट ने 26/11 के दोषी को बरी किया? यहां के पीड़ितों को इंसाफ कौन देगा? क्या अमेरिका 9/11 के केस को भारत की कोर्ट में चलाने देगा?” मोदी ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार पर भी निशाना साधा और पूछा कि भारत के हितों की रक्षा क्यों नहीं हो रही. उनका ये बयान उस समय सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था.

आज, 14 साल बाद भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी वचन को पूरा करते नजर आ रहे हैं. 14 फरवरी 2025 को अमेरिका ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी. कल देर रात राणा भारत पहुंचा है. उसे एनआईए ने कस्टडी में ले लिया है.ये खबर आते ही सोशल मीडिया पर मोदी का 2011 का वीडियो फिर से छा गया. लोग कह रहे हैं कि मोदी की दूरदर्शिता और आतंकवाद के खिलाफ उनकी अटल प्रतिबद्धता ने ये दिन देखने को मिला.

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भारत ने वैश्विक मंच पर दिखाई अपनी ताकत

बता दें कि मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी ताकत दिखाई है. राणा का भारत आना न सिर्फ 26/11 के पीड़ितों के लिए इंसाफ की उम्मीद है, बल्कि ये भी दिखाता है कि मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ कितनी सख्त है. चाहे पुलवामा हो या उरी, मोदी ने हमेशा दो टूक कहा, “आतंकवाद बर्दाश्त नहीं!” राणा का प्रत्यर्पण इस बात का सबूत है कि उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं.

अब राणा भारत की अदालत में अपने गुनाहों का हिसाब देगा. ये पल हर उस शहीद और पीड़ित परिवार के लिए गर्व का है, जिन्होंने 26/11 की त्रासदी झेली.

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