निशांत को लॉन्च करने जा रहे हैं CM नीतीश, बिहार चुनाव से पहले कर दिया इशारा, घरेलू पिच पर ही करेंगे बैटिंग!

49 वर्षीय निशांत कुमार पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उन्होंने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT) मेसरा से पढ़ाई की है. अब तक वे राजनीति से कोसों दूर थे और अध्यात्म में रुचि रखते थे.
Bihar Politics

बिहार के सीएम नीतीश कुमार

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में आजकल एक नया चेहरा खूब सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की. निशांत अब तक सार्वजनिक जीवन से दूर रहते थे, लेकिन वे अब अपने पिता के साथ मंच साझा करते और जनता से मुखातिब होते नजर आ रहे हैं. हाल ही में बख्तियारपुर में एक नए रिवरफ्रंट और घाट के उद्घाटन पर उनकी मौजूदगी ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है.

बख्तियारपुर से सियासी आगाज!

यह कोई आम बात नहीं है, क्योंकि बख्तियारपुर नीतीश कुमार की जन्मभूमि और उनकी राजनीतिक कर्मभूमि भी है. 28 जून 2025 को जब नीतीश और निशांत ने मिलकर इस रिवरफ्रंट का उद्घाटन किया, तो वहां मौजूद हर शख्स की निगाहें निशांत पर थीं. निशांत ने भी मौके का फायदा उठाया और कहा, “बख्तियारपुर मेरा घर है, मेरे पिता और दादा-दादी का घर है. मैं यहीं पला-बढ़ा हूं और मेरी बचपन की कई यादें इस जगह से जुड़ी हैं.”

अचानक क्यों बढ़ने लगी है निशांत की सक्रियता?

49 वर्षीय निशांत कुमार पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उन्होंने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT) मेसरा से पढ़ाई की है. अब तक वे राजनीति से कोसों दूर थे और अध्यात्म में रुचि रखते थे. यहां तक कि 2024 में उन्होंने साफ-साफ कह दिया था कि वे राजनीति में नहीं आएंगे. लेकिन 2025 की शुरुआत से उनकी सार्वजनिक उपस्थिति तेजी से बढ़ी है. जनवरी 2025 में बख्तियारपुर में स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों के अनावरण के दौरान, उन्होंने पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने पिता और जेडीयू के लिए वोट मांगे थे. उन्होंने कहा था, “अगर संभव हो, तो मेरे पिता और उनकी पार्टी को वोट दें और उन्हें फिर से मौका दें.”

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विरासत संभालने की तैयारी?

यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब नीतीश कुमार 74 वर्ष के हो चुके हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर भी अटकलें लगती रहती हैं. 2005 से लगातार बिहार के मुख्यमंत्री रहे नीतीश के बाद जेडीयू में नेतृत्व का एक बड़ा सवाल खड़ा हो सकता है. पार्टी में फिलहाल कोई दूसरा बड़ा ओबीसी नेता नहीं है जो नीतीश की जगह ले सके. ऐसे में जेडीयू के कुछ नेताओं का मानना है कि निशांत ही वह चेहरा हो सकते हैं जो नीतीश के 18-22% वोटों के आधार को एकजुट रख सकें, जिसमें अति पिछड़ा वर्ग, लव-कुश (कुर्मी और कोइरी), महिलाएं और दलित शामिल हैं.

परिवारवाद बनाम जनादेश

दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार हमेशा परिवारवाद के खिलाफ रहे हैं और इस मुद्दे पर उन्होंने अक्सर विपक्ष पर हमला बोला है. ऐसे में निशांत की संभावित राजनीतिक एंट्री को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है. कुछ लोग इसे जेडीयू के लिए एक जरूरत बता रहे हैं, तो कुछ इसे नीतीश के सिद्धांतों के खिलाफ मान रहे हैं.

सवाल यह है कि क्या निशांत वाकई नीतीश की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो रहे हैं? या यह सिर्फ अपने पिता के प्रति उनके समर्थन का एक तरीका है? आने वाले दिनों में बिहार की सियासत में यह सवाल और गहराएगा और निशांत कुमार का अगला कदम क्या होगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी.

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