बार-बार बिहार क्यों जा रहे हैं राहुल गांधी? सियासी मायने को ऐसे समझिए

राहुल गांधी का यह दौरा महज एक यात्रा या सम्मेलन तक सीमित नहीं है, इसके पीछे 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी साफ दिख रही हैं. कांग्रेस पिछले कुछ सालों से बिहार में अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है.
Rahul Gandhi Bihar Visit

राहुल गांधी और कन्हैया कुमरा की यह तस्वीर AI से बनाई गई है.

Rahul Gandhi Bihar Visit: कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी आज एक बार फिर बिहार की धरती पर कदम रख चुके हैं. इस साल उनका यह तीसरा बिहार दौरा है, जो न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को लेकर भी एक नई बहस छेड़ने की तैयारी का संकेत देता है. राहुल गांधी आज बेगूसराय में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के साथ ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा में शामिल होंगे और इसके बाद पटना में ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ को संबोधित करेंगे. आइए, इस दौरे के मकसद और इसके पीछे की रणनीति को विस्तार से समझते हैं.

क्यों खास है यह दौरा ?

बिहार, जो कभी चंपारण सत्याग्रह और सामाजिक न्याय की क्रांति का गवाह रहा, आज फिर से एक बड़े बदलाव की उम्मीद में है. राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “चंपारण सत्याग्रह का आंदोलन हो या सामाजिक न्याय की क्रांति – बिहार की धरती ने हमेशा अन्याय के खिलाफ ठोस कदम बढ़ाया है. आज वो इतिहास फिर से पुकार रहा है.”

इस दौरे का पहला पड़ाव बेगूसराय है, जहां वे कन्हैया कुमार के साथ “पलायन रोको, नौकरी दो” यात्रा में शिरकत करेंगे. यह यात्रा बिहार के सबसे बड़े मुद्दों में से एक – बेरोजगारी और पलायन – पर केंद्रित है. बिहार से हर साल लाखों युवा रोजगार की तलाश में देश के अन्य हिस्सों में जाते हैं. कांग्रेस इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर न केवल बिहार के युवाओं का ध्यान खींचना चाहती है, बल्कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाना चाहती है. राहुल गांधी ने युवाओं से अपील की है कि वे सफेद टी-शर्ट पहनकर आएं, अपने सवाल पूछें और अपनी आवाज को मजबूत करें.

संविधान सुरक्षा सम्मेलन

बेगूसराय के बाद राहुल गांधी पटना पहुंचेंगे, जहां श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ का आयोजन किया गया है. इस सम्मेलन का मकसद संविधान पर कथित हमलों के खिलाफ आवाज बुलंद करना और सामाजिक समता व न्याय की बात को जन-जन तक पहुंचाना है. कांग्रेस का मानना है कि मौजूदा सरकार की नीतियां संविधान के मूल्यों को कमजोर कर रही हैं, और राहुल गांधी इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जागरूकता फैलाना चाहते हैं. यह सम्मेलन महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह आंदोलन की याद को भी ताजा करेगा, जिसे कांग्रेस बिहार में अपनी ऐतिहासिक जड़ों से जोड़ने की कोशिश के तौर पर देख रही है.

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राजनीतिक रणनीति और 2025 विधानसभा चुनाव

राहुल गांधी का यह दौरा महज एक यात्रा या सम्मेलन तक सीमित नहीं है, इसके पीछे 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी साफ दिख रही हैं. कांग्रेस पिछले कुछ सालों से बिहार में अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है. लोकसभा चुनाव 2024 में नौ सीटों पर लड़कर तीन सीटें जीतने के बाद पार्टी की नजर विधानसभा चुनाव में मजबूत प्रदर्शन पर है. राहुल गांधी की लगातार बिहार यात्राएं – जनवरी, फरवरी और अब अप्रैल में, इस बात का सबूत हैं कि कांग्रेस राज्य में संगठन को मजबूत करने और जनता से सीधा जुड़ाव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

कन्हैया कुमार जैसे युवा और लोकप्रिय चेहरों को साथ लाना भी कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है. बेगूसराय में कन्हैया की मौजूदगी न केवल स्थानीय स्तर पर समर्थन जुटाएगी, बल्कि युवाओं के बीच कांग्रेस की पैठ बढ़ाने में भी मदद करेगी. इसके अलावा, “हर घर कांग्रेस का झंडा” अभियान के जरिए पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है.

विपक्षी दलों के लिए चुनौती

राहुल गांधी की यह सक्रियता बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) के साथ-साथ उनके सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए भी चुनौती पेश कर सकती है. आरजेडी, जो महागठबंधन में कांग्रेस की साझेदार है, इस बढ़ती सक्रियता को अपनी सीटों पर दबाव के तौर पर देख सकती है. कांग्रेस ने पहले ही संकेत दिए हैं कि अगर उसे उचित सम्मान नहीं मिला, तो वह अकेले दम पर चुनाव लड़ने को तैयार है. ऐसे में यह दौरा महागठबंधन के भविष्य पर भी असर डाल सकता है.

राहुल गांधी का आज का बिहार दौरा एक साधारण यात्रा से कहीं बढ़कर है. यह संविधान की रक्षा, रोजगार के अवसर, और सामाजिक न्याय की लड़ाई को जनता के बीच ले जाने का प्रयास है. साथ ही, यह कांग्रेस की उस महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जो बिहार में अपनी पुरानी ताकत को फिर से हासिल करना चाहती है.

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