“जासूसी सॉफ्टवेयर से आतंकियों पर नजर रखना गलत कैसे?”, पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल
सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court On Pegasus Spyware: क्या जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल आतंकियों को पकड़ने के लिए गलत हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई के दौरान यह सवाल पूछा. कोर्ट ने साफ कहा कि देश की सुरक्षा सबसे पहले है, और इसके लिए जरूरी कदम उठाना कोई अपराध नहीं. लेकिन साथ ही, आम लोगों की निजता का भी ख्याल रखा जाएगा.
क्या है पेगासस का खेल?
पेगासस कोई जादुई घोड़ा नहीं, बल्कि एक इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसने 2021 में भारत में तहलका मचा दिया था. आरोप है कि इसका इस्तेमाल नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने के लिए हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के लिए एक खास कमेटी बनाई थी, जिसने 29 फोनों की जांच की. नतीजा? पांच फोनों में मैलवेयर मिला, लेकिन पेगासस का पक्का सबूत नहीं. अब कोर्ट यह तय करेगा कि कमेटी की रिपोर्ट कितनी सार्वजनिक होगी.
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कोर्ट में हुई गर्मागर्म बहस
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने कहा, “आतंकियों पर नजर रखने के लिए जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल गलत नहीं, लेकिन सवाल यह है कि इसका टारगेट कौन है?” याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने जोर देकर कहा कि कमेटी की रिपोर्ट सबके सामने आनी चाहिए. सिब्बल ने तो अमेरिकी कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि व्हाट्सएप ने भी हैकिंग की बात मानी थी. उधर, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आतंकियों के खिलाफ सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का बचाव किया और कहा कि उन्हें निजता का हक नहीं.
सुप्रीम कोर्ट अब इस बात पर गौर करेगा कि निजता की चिंता करने वालों की शिकायतें कैसे सुनी जाएं, लेकिन देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा. 30 जुलाई को होने वाली सुनवाई में क्या नया मोड़ आएगा, यह देखना होगा.
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