आतंकियों का केंद्र बनता जा रहा फरीदाबाद…राम मंदिर में ब्लास्ट करने जा रहा अब्दुल पहला नहीं!
आतंकी अब्दुल की हुई गिरफ्तारी
Ram Mandir: फरीदाबाद में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. दरअसल, गुजरात एटीएस, फरीदाबाद एसटीएफ और इंटेलिजेंस ब्यूरो की संयुक्त कार्रवाई में एक संदिग्ध आतंकी को गिरफ्तार किया गया है, जो अयोध्या में राम मंदिर को निशाना बनाने की साजिश रच रहा था. गिरफ्तार आतंकी का नाम अब्दुल रहमान है, जो अयोध्या मिल्कीपुर का रहने वाला है. हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब किसी आंतकी का फरीदाबाद से गिरफ्तारी हुआ हो. हाल के सालों में फरीदाबाद आतंकी गतिविधियों के हॉटस्पॉट के रूप में सामने आया है.
जानकारी के मुताबिक, राम मंदिर को उड़ाने का सारा काम वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर कर रहा था. हैंड ग्रेनेड भी इसे उन्हीं के हैंडलर ने दिए थे, लेकिन साजिश को अंजाम दे पाता, इससे पहले ही पकड़ा गया. फरीदाबाद पुलिस ने इस मामले में किसी प्रकार की पुष्टि नहीं की है. हालांकि डबुआ थाना पुलिस ने आतंकी के खिलाफ केस दर्ज किया है.
राम मंदिर के अलावा कहां-कहां की थी रेकी?
रहमान को कथित तौर पर राम मंदिर और यूपी के प्रशासनिक कार्यालय की रेकी करने का काम सौंपा गया था. छापेमारी के दौरान जब्त की गई एक पेन ड्राइव में एजेंसी को कई ‘आपत्तिजनक सामग्री’ भी मिली हैं, जिसमें प्रस्तावित हमले के ब्लूप्रिंट, संभावित लक्ष्य और उसके हैंडलर्स से निर्देश शामिल थे. जांचकर्ताओं को संदेह है कि हमला ‘बहुत जल्द’ होने वाला था.
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, अब्दुल रहमान आईएसआई के आईएसकेपी (इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस) मॉड्यूल से जुड़ा है. ऐसा माना जा रहा है कि इस मॉड्यूल में अब्दुल रहमान के अलावा और लोग भी शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. गौरतलब है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद किया गया था. 22 जनवरी, 2024 को प्राण प्रतिष्ठा की रस्म अदा की थी. तब से मंदिर में राम भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है.
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आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना फरीदाबाद!
फरीदाबाद को आतंकियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना माना जाता है. एक कारण यह है कि यहां पर किराएदारों के वेरिफिकेशन की कोई मजबूत व्यवस्था नहीं है. शहर में पुलिस की ओर से नियमित चेकिंग और वेरिफिकेशन अभियान का अभाव है, जिससे संदिग्ध लोग यहां आराम से बस जाते हैं. यही वजह है कि आतंकी घटनाओं में इस शहर का नाम अक्सर जुड़ता रहा है. मकान मालिकों के पास यह जानकारी नहीं होती कि वे किसे किराए पर घर दे रहे हैं, और इसी वजह से कई बार आतंकियों को आसानी से ठिकाने मिल जाते हैं.
फरीदाबाद का काला इतिहास
फरीदाबाद का आतंकी इतिहास काफी पुराना है. यहां से कई आतंकी घटनाओं के आरोपियों के तार जुड़े रहे हैं. 1998 में दिल्ली पुलिस ने तुगलकाबाद किले के पास आतंकियों को मार गिराया था, जो फरीदाबाद से दिल्ली में घुसने का प्रयास कर रहे थे. इसके बाद 2005 में नोएडा पुलिस ने आतंकवादी हनीफ को गिरफ्तार किया था, जिसने फरीदाबाद में अपना नेटवर्क चलाया था. 2006 में पाकिस्तानी आतंकी अबू हमजा ने फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में एक घर किराए पर लिया था, जहां से भारी मात्रा में हथियार और आरडीएक्स बरामद हुआ था.
2008 में मालेगांव ब्लास्ट में गिरफ्तार दयानंद पांडे उर्फ अमृतानंद देव का संबंध भी फरीदाबाद से था. वह कई दिनों तक अनंगपुर स्थित हरि पर्वत मंदिर में मीटिंग करता रहा था. इसके अलावा, 2008 में दिल्ली के महरौली ब्लास्ट के ठीक पहले एक कॉल फरीदाबाद से आई थी, जिसमें पुलिस को दिल्ली को बचाने के लिए चेतावनी दी गई थी.
फरीदाबाद में अनाधिकृत बांग्लादेशी का नेटवर्क
फरीदाबाद में अनाधिकृत रूप से बांग्लादेशी नागरिकों की खासी तादाद भी पाई जाती है, जो संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं. इन बांग्लादेशियों का यहां रहना, किराए पर मकान लेना, और स्थानीय पुलिस से छिप कर रहना आसान है.
यहां की पुलिस व्यवस्था भी इस खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं दिखती है. मकान मालिक यह जरूरी नहीं समझते कि वे अपने किराएदारों के बारे में पूरी जानकारी रखें. इसलिए आतंकवादी आसानी से यहां रहकर अपनी गतिविधियां चला सकते हैं.
आतंकवाद का पर्दाफाश
फरीदाबाद में आतंकवादी गतिविधियों का पर्दाफाश होना एक बार फिर से यह साबित करता है कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है. आतंकवादियों के लिए यह शहर एक गढ़ बन चुका है, जहां वे अपनी योजनाओं को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए सुरक्षित ठिकाने खोजते हैं. स्थानीय प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा और ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.