एंटीगुआ से बेल्जियम तक…दर-दर भटकता रहा Mehul Choksi, जानें PNB घोटाले की पूरी ABCD

2018 में PNB का एक नया कर्मचारी ब्रैडी हाउस शाखा में आया. उसने कुछ लेन-देन में गड़बड़ी देखी और इसकी जांच शुरू की. जांच में पता चला कि चोकसी और नीरव ने साल 2011 से 2018 तक फर्जी LoU के जरिए हजारों करोड़ रुपये निकाले थे. जब यह बात बैंक के बड़े अधिकारियों तक पहुंची, तो मामला सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास गया.
Mehul Choksi

मेहुल चोकसी

PNB Scam: भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) आखिरकार बेल्जियम में गिरफ्तार हो गया. 13,850 करोड़ रुपये के इस घोटाले ने देश को हिलाकर रख दिया था, और चोकसी सालों तक भारत से भागकर एंटीगुआ और अन्य देशों में छिपता रहा. उसकी गिरफ्तारी ने एक बार फिर इस सनसनीखेज मामले को सुर्खियों में ला दिया है. लेकिन सवाल यह है कि आखिर ये घोटाला था क्या? चोकसी कैसे इस मामले में फंसा? और कैसे वह इतने साल तक कानून से बचता रहा? आइए, इस पूरी कहानी को विस्तार से और आसान भाषा में समझते हैं.

मेहुल चोकसी कौन है?

मेहुल चोकसी एक भारतीय हीरा कारोबारी है, जो गीतांजलि जेम्स नाम की कंपनी का मालिक था. यह कंपनी भारत में ज्वेलरी की दुनिया में बड़ा नाम थी, जिसके देशभर में 4,000 से ज्यादा स्टोर थे. चोकसी का रुतबा ऐसा था कि वह बॉलीवुड सितारों और बड़े-बड़े लोगों के साथ नजर आता था. लेकिन 2018 में उसकी जिंदगी ने ऐसी करवट ली कि वह भारत छोड़कर भाग गया और भगोड़ा घोषित हो गया.

PNB घोटाला क्या था?

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाला भारत के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड्स में से एक है, जिसका खुलासा 2018 में हुआ. इस घोटाले में मेहुल चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी मुख्य आरोपी थे. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने PNB से करीब 13,850 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. लेकिन यह धोखाधड़ी हुई कैसे? इसे समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा.

घोटाले का आधार लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU)

LoU क्या होता है? LoU यानी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग, एक तरह का बैंक गारंटी पत्र होता है. मान लीजिए कोई कारोबारी विदेश से सामान खरीदना चाहता है, लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं. वह अपने बैंक से LoU लेता है, जिसके आधार पर विदेशी बैंक उसे लोन दे देता है. बाद में यह लोन मूल बैंक चुकाता है.

चोकसी और नीरव ने क्या किया?

चोकसी और नीरव ने PNB की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस शाखा से फर्जी LoU हासिल किए. ये LoU असली नहीं थे, यानी इन्हें बैंक के सिस्टम में दर्ज ही नहीं किया गया. इन फर्जी LoU के जरिए उन्होंने विदेशी बैंकों से भारी-भरकम लोन लिए और पैसे को इधर-उधर ट्रांसफर कर दिया.

बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत

इस घोटाले में PNB के कुछ कर्मचारी भी शामिल थे. खास तौर पर गोकुलनाथ शेट्टी नाम का एक डिप्टी मैनेजर, जिसने नियमों को ताक पर रखकर चोकसी और नीरव की मदद की. इन कर्मचारियों ने LoU को बैंक के कोर बैंकिंग सिस्टम में दर्ज किए बिना ही जारी कर दिया, जिससे घोटाला सालों तक छिपा रहा.

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कैसे पकड़ा गया घोटाला?

2018 में PNB का एक नया कर्मचारी ब्रैडी हाउस शाखा में आया. उसने कुछ लेन-देन में गड़बड़ी देखी और इसकी जांच शुरू की. जांच में पता चला कि चोकसी और नीरव ने साल 2011 से 2018 तक फर्जी LoU के जरिए हजारों करोड़ रुपये निकाले थे. जब यह बात बैंक के बड़े अधिकारियों तक पहुंची, तो मामला सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास गया. शुरुआत में घोटाले की रकम 11,300 करोड़ रुपये बताई गई, जो बाद में बढ़कर 13,850 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. कुछ रिपोर्ट्स में इसे 14,000 करोड़ तक बताया गया. PNB के अलावा, चोकसी ने पंजाब एंड सिंध बैंक से 44.1 करोड़ रुपये और अन्य बैंकों से भी छोटे-मोटे फ्रॉड किए.

इस घोटाले ने PNB के शेयरों को धराशायी कर दिया. बैंक के सालाना मुनाफे का 8 गुना नुकसान हुआ. आम निवेशकों और म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों को भी भारी चपत लगी. जैसे ही घोटाले की बात सामने आई, चोकसी और नीरव मोदी दोनों जनवरी 2018 में भारत छोड़कर भाग गए. चोकसी ने पहले से ही प्लान बना रखा था. उसने 2017 में एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता ले ली थी, ताकि वह भारत से बच सके.

कहां-कहां भागा चोकसी?

एंटीगुआ (2018-2021): चोकसी ने एंटीगुआ में शरण ली और वहां की नागरिकता का फायदा उठाकर छिपता रहा. भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण की कोशिश शुरू की, लेकिन एंटीगुआ ने उसे आसानी से नहीं सौंपा.

डोमिनिका (2021): मई 2021 में चोकसी अचानक एंटीगुआ से गायब हो गया और डोमिनिका में पकड़ा गया. उसने दावा किया कि उसे किडनैप किया गया, लेकिन डोमिनिका ने उसे अवैध प्रवेश के आरोप में हिरासत में लिया. भारत ने प्रत्यर्पण की कोशिश की, लेकिन चोकसी को फिर एंटीगुआ भेज दिया गया.

बेल्जियम (2025): हाल ही में खबर आई कि चोकसी बेल्जियम में था, जहां उसे 11 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया. बताया जा रहा है कि उसने बेल्जियम में गलत जानकारी देकर रेजीडेंसी हासिल की थी और कैंसर के इलाज के बहाने स्विट्जरलैंड भागने की फिराक में था.

चोकसी की गिरफ्तारी कैसे हुई?

सीबीआई और ED ने चोकसी के खिलाफ कई चार्जशीट दाखिल कीं. भारत ने इंटरपोल के जरिए रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी करवाया, हालांकि 2023 में चोकसी ने इसे हटवाने में कामयाबी हासिल कर ली थी. इसके बावजूद, भारतीय एजेंसियां उसका पीछा नहीं छोड़ रही थीं. सूत्रों के मुताबिक, चोकसी ने बेल्जियम में फर्जी दस्तावेजों के जरिए रेजीडेंसी ली थी. भारतीय एजेंसियों ने बेल्जियम पुलिस को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद 11 अप्रैल 2025 को उसे हिरासत में लिया गया. अब भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है.

चोकसी के खिलाफ सीबीआई और ED ने कई मामले दर्ज किए. उसकी पत्नी प्रीति चोकसी और अन्य कर्मचारियों पर भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे. ED ने चोकसी की गीतांजलि जेम्स और अन्य कंपनियों की संपत्तियों को जब्त किया. इनमें मुंबई के 15 फ्लैट, 17 ऑफिस, कोलकाता का शॉपिंग मॉल और अलीबाग का फार्महाउस शामिल हैं. हाल ही में मुंबई की एक अदालत ने चोकसी की 13 संपत्तियों की नीलामी को मंजूरी दी है, ताकि PNB को हुए नुकसान की कुछ भरपाई हो सके. अब तक 125 करोड़ रुपये की संपत्ति पीड़ित बैंकों को लौटाई गई है, लेकिन यह घोटाले की कुल रकम के सामने बहुत कम है.

चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी के बाद भारत सरकार उसे वापस लाने की पूरी कोशिश कर रही है. अगर प्रत्यर्पण हो जाता है, तो चोकसी को भारत में कोर्ट में पेश किया जाएगा. दूसरी ओर, नीरव मोदी पहले से ही लंदन की जेल में है और उसका प्रत्यर्पण भी जल्द हो सकता है.

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