Lok Sabha Election 2024: चौथे चरण में एमपी की 8 सीटों पर वोटिंग, जानें कहां किसका पलड़ा भारी

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मध्य प्रदेश की 8 सीटों पर वोटिंग हो रही है. इस चरण में सबसे ज्यादा चर्चा इंदौर, खरगोन और रतलाम सीट की है.
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प्रतीकात्मक तस्वीर

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मध्य प्रदेश की 8 सीटों पर सोमवार, (13 मई) को वोट डाले जा रहे हैं. वर्तमान राजनीतिक स्थितियों को देखें तो बीजेपी इन सभी 8 सीटों पर मजबूत नजर आ रही है, लेकिन इनमें से तीन सीटों पर हवा का रुख बदला हुआ है. सबसे ज्यादा चर्चा इंदौर, खरगोन और रतलाम सीट की है. इंदौर में माहौल नहीं बदला है, लेकिन नोटा (NOTA) ने मुद्दा बदल दिया है.

खरगोन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी की सभाओं के बाद हालात बदले हुए हैं. यहां आदिवासी वोटर्स में कांग्रेस सेंध लगाने में कामयाब हुई तो उसे फायदा हो सकता है. वहीं, रतलाम में मोदी की गारंटी और स्थानीय मुद्दों की लड़ाई है.आइए जानते हैं इन 8 सीटों का सियासी समीकरण और कहां एक-दूसरे पर भारी है दोनों मुख्य पार्टियां.

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इंदौर: कांग्रेस के मैदान छोड़ने से BJP के मौजूदा सांसद शंकर लालवानी का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है. लेकिन, इस पूरे घटनाक्रम के बाद पार्टी में सवाल यही है कि इस दलबदल की जरूरत ही क्या थी? पहली बार भाजपा को इससे नुकसान होने का डर सता रहा है. यही वजह है कि बीजेपी कैंडिडेट शंकर लालवानी ने प्रचार तेज कर दिया है. हालांकि, NOTA का समर्थन करने के बावजूद कांग्रेस कहीं मुकाबले में नहीं है.

उज्जैन: अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस को ज्यादा उम्मीद नहीं है. ये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृह क्षेत्र भी है. चुनाव से कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार ने शिप्रा नदी की गंदगी का मुद्दा उठाकर सुर्खियां बंटोरीं. हालांकि, वह उसे मुद्दे में बदल नहीं सके. भाजपा का कैडर यहां सबसे ज्यादा मजबूत है.

रतलाम: इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया का रुख नहीं बदला है. भील-भिलाला की लड़ाई तो है ही, भूरिया दो पत्नियों वाले बयान से फिर सुर्खियों में है, वे हर हाल में चुनाव को लोकल फैक्टर पर रखना चाहते हैं. भाजपा यहां मोदी की गारंटी के भरोसे है और इसे जनता के बीच पहुंचाने का जिम्मा तीन मंत्रियों चेतन काश्यप, नागर सिंह चौहान और निर्मला भूरिया को दिया है.

खंडवा: कांग्रेस के नरेंद्र पटेल का गुर्जर दांव कामयाब होता नहीं दिख रहा है. उनके लिए पूर्व मंत्री अरुण यादव और पूर्व विधायक राजनारायण सिंह सक्रिय हैं. बुरहानपुर के मुस्लिम वोटर्स का रुझान कांग्रेस की तरफ होता दिख रहा है. दूसरी तरफ राम मंदिर और 370 जैसे मुद्दों से भाजपा को सीधा फायदा हो रहा है.

खरगोन: बीजेपी के सांसद गजेंद्र पटेल के सामने कांग्रेस ने पोरलाल खरते को टिकट देकर चौंका दिया था. यदि पोरलाल ने बड़वानी-सेंधवा के आदिवासी वोटर्स में सेंध लगाई तो नतीजे भी चौंकाने वाले हो सकते हैं. पिछले दिनों पीएम मोदी और राहुल गांधी की यहां सभा हो चुकी है. इसका असर क्षेत्र में दिख रहा है. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन किया है इसलिए उसे और ज्यादा उम्मीद है.

देवास: यहां भी वोटों का ध्रुवीकरण नजर आ रहा है. भाजपा प्रत्याशी महेंद्रसिंह सोलंकी हार्डकोर हिंदुत्व के एजेंडे पर हैं. रैलियों में ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे’ जरूर पोस्टरों पर दिखाई देता है. कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन वर्मा, भाजपा से आए दीपक जोशी जैसे नेताओं ने देवास, सोनकच्छ, खातेगांव, हाटपिपल्या जैसे क्षेत्रों में कोशिश की है लेकिन माहौल यथावत है.

मंदसौर: राजस्थान से लगी हुई इस सीट पर इस बार भी बीजेपी मजबूत दिख रही है. मुस्लिम लोगों के धर्म परिवर्तन की खबरें यहीं से आना शुरू हुईं और यह सिलसिला चुनाव के बीच भी हुआ. भाजपा इस भरपूर भुनाने की कोशिश कर रही है और उसे फायदा हो रहा है. यहां कांग्रेस 2009 में आखिरी बार चुनाव जीती थी.

धार: भोजशाला मंदिर या मस्जिद, आखिरकार यह मुद्दा चुनावी बन गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सभा में इसका जिक्र किया है. मालवा-निमाड़ में वोट बैंक के लिहाज से कांग्रेस यहां सबसे मजबूत है, बावजूद नेशनल इश्यू के कारण वह विधानसभा चुनाव का परफॉर्मेंस दोहरा पाने में मुश्किल का सामना कर रही है. यहां की 8 में 5 सीटों पर कांग्रेस मजबूत थी लेकिन भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे से हवा बदल गई है.

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