कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर ढींडसा और सिद्धू तक… पंजाब में गायब दिख रहे हैं ये चेहरे, क्या चुनाव पर पड़ेगा असर?

82 साल के अमरिंदर सिंह लगभग दो दशक से पंजाब की चुनावी राजनीति के केंद्र में रहे हैं लेकिन इस बार उनकी गैर मौजूदगी निश्चित रूप से पंजाब के लोगों को खल रही है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू , सुखदेव सिंह ढींडसा

Punjab Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पंजाब की सभी 13 सीटों पर 1 जून को वोटिंग होगी. इसके लिए प्रचार-प्रसार भी चरम पर है. लेकिन पंजाब में इस बार का लोकसभा चुनाव पिछले कुछ दशकों की तुलना में अलग है. अबकी बार कई प्रमुख सिख नेता गायब नजर आ रहे हैं. इस लिस्ट में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा का नाम शामिल है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह

82 साल के अमरिंदर सिंह लगभग दो दशक से पंजाब की चुनावी राजनीति के केंद्र में रहे हैं लेकिन इस बार उनकी गैर मौजूदगी निश्चित रूप से पंजाब के लोगों को खल रही है. इस बार पीएम मोदी ने जब पंजाब में जनसभा को संबोधित किया था उस वक्त भी कैप्टन साहब मंच पर नजर नहीं आए. कहा जा रहा है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है इस वजह से ही वो इस चुनाव से दूर नजर आ रहे हैं.

बहरहाल, अमरिंदर सिंह जैसे हैवीवेट नेता अगर बीजेपी के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार करते तो निश्चित रूप से पार्टी को पंजाब में कुछ फायदा हो सकता था. लेकिन वह अपनी पत्नी के लिए भी चुनाव प्रचार नहीं कर सके. दरअसल, अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर बीजेपी के टिकट पर पटियाला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. उनकी बेटी जय इंदर कौर पंजाब में भाजपा महिला मोर्चा की प्रधान हैं.

अमरिंदर सिंह साल 1999, 2002,2017 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने. लेकिन साल 2017 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बना ली. 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस का बीजेपी में विलय कर दिया.

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नवजोत सिंह सिद्धू

इनके अलावा पंजाब के दूसरे चर्चित नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी पंजाब के लोकसभा चुनावों में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. हाल ही में हिट एंड रन मामले में जेल रिटर्न सिद्धू ने भी पंजाब की राजनीति से दूरी बनाई हुई है. सिद्धू लंबे समय से राज्य की राजनीति में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू भी पूरे चुनाव प्रचार के दौरान पंजाब में नहीं दिखाई दिए. सिद्धू इंडियन प्रीमियर लीग में बतौर कमेंटेटर मौजूद रहे. सिद्धू अमृतसर से बीजेपी के टिकट पर सांसद रहे लेकिन कुछ साल पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

कांग्रेस में आने के बाद सिद्धू की पहले अमरिंदर सिंह से लगातार भिड़ंत होती रही. नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा के बाद कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी. नवजोत सिंह सिद्धू की चरणजीत सिंह चन्नी से भी नहीं बनी और इस लड़ाई का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा और वह सत्ता से बाहर हो गई.

सुखदेव सिंह ढींडसा

इस बार के लोकसभा चुनाव में एक और नाम गायब दिख रहे हैं. वो हैं सुखदेव सिंह ढींडसा. ढींडसा की गिनती शिरोमणि अकाली दल के साथ ही पंजाब के भी वरिष्ठ नेताओं में होती है. ढींडसा ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1972 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीता था. इसके बाद वह कई बार अकाली दल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते और पंजाब की अकाली दल सरकार में मंत्री रहे. सुखदेव सिंह ढींडसा तीन बार लोकसभा और इतनी ही बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे. वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे. पंजाब लोकसभा चुनाव से इस बार वो गायब नजर आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि संगरूर से बेटे परमिंदर ढींढसा को टिकट नहीं दिए जाने को लेकर वो नाराज हो गए.

इन तीनों बड़े नेताओं के पंजाब में चुनाव प्रचार के मैदान में नहीं दिखाई देने का असर निश्चित रूप से चुनाव पर पड़ा है.

बताते चलें कि पंजाब में ऐसा पहली बार हुआ है कि सत्ता में न ही कांग्रेस है और न ही शिरोमणि अकाली दल. 28 सालों के बाद ऐसा पहली बार होगा की भाजपा और अकाली दल एक साथ चुनाव नहीं लड़ रहे है. पंजाब में इस समय आम आदमी पार्टी बहुत ही सक्रिय है. पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव 1 जून को है.

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