बहुत चर्चा है: पीएस केबिन का गेट खुला रखकर बैठते हैं, फ्लोर पर होता है सन्नाटा, गिफ्ट में मिला था महंगा फाउंटेन पेन, अब अधिकारियों की जांच का फरमान लिखते हैं, फिट होने की सनक में अधिकारी तो नहीं पर घोड़ा जरूर दुबला गया

पुलिस मुख्यालय में पदस्थ आला अधिकारी और उनके शौक भी निराले हैं। इन अलहदा शौक की चर्चा भी होती है। कॉफ़ी टेबल बैठने वाले अधिकारी इन दिनों अस्तबल में समय बिता रहे हैं।
Bahut Charcha Hai

बहुत चर्चा है.

बहुत चर्चा है: प्रदेश में अपने तल्ख लहजे और तीखे तेवरों के लिए मशहूर एक आला अधिकारी का अंदाज इन दिनों बदला-बदला सा नजर आ रहा है। मंत्रालय में प्रमुख सचिव स्तर के ये अधिकारी अपने कैबिन का गेट खुला रख कर बैठते हैं, जिसकी खूब चर्चा हो रही है। अब इतने बड़े अधिकारी हैं और उनके केबिन का गेट खुला होगा तो फिर पूरे फ्लोर पर सन्नाटा पसरा होगा ही। आप सोच रहे होंगे, भला कोई अधिकारी अपने कैबिन का गेट क्यों खुला रखेगा। दरअसल, साहब दूध से जले हुए हैं, अब छाछ भी फूंक-फूंक कर पीते हैं। जब साहब सेक्रेटरी पद पर थे, तब उन के सिर ऐसा आरोप लगा कि अब शायद पूरे करियर में वह इससे उबर नहीं पाएंगे। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि तत्कालीन मुख्य सचिव तक भी पहुंचा। इसके बाद से अधिकारी आज तक केबिन का दरवाजा खोल कर बैठे रहते हैं। जब दरवाजा खुला रहता है तो फ्लोर पर पूरी तरह से सन्नाटा पसर जाता है। उस फ्लोर पर कोई आवाज करते हुए ना निकले, इसकी सलाह भी हर आने-जाने वाले को दी जाती है। हालांकि साहब की कार्यशैली ईमानदार बताई जाती है। इसके तहत एक बड़े घोटाले को उजागर किया जो दक्षिण भारत की एक कंपनी और कारोबारी पर भारी पड़ा। खैर साहब का यूँ कैबिन खोल कर बैठे रहना, उनके लिए कितना कारगर साबित होगा यह तो देखने वाली बात है…

मध्य प्रदेश के जंगल महकमे में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री, नतीजा आईएफएस अधिकारियों की इमेज जीरो

मध्य प्रदेश के जंगलों का हाल और उसके पहले जंगल राज की स्थिति सबको पता है। आरोप है कि जंगल महकमे में जानवर से ज्यादा अधिकारी खतरनाक हो चले हैं। उन पर लगाम लगाने के नाम पर जंगल की व्यवस्था ठेके पर देने की तैयारी की गई। एक कंपनी अब प्राइवेट वाइल्डलाइफ सेंटर खोलने की कोशिश कर रही है। इसके लिए अधिकारियों को निजी कंपनी के सेंटर से सलाह लेने के लिए कहा गया है। ऐसे में निजी सेंटर के सामने मध्य प्रदेश के फॉरेस्ट अधिकारी खुद को नाचीज़ समझ रहे हैं। अब तो चर्चा इस बात की हो रही है कि फॉरेस्ट्री से लेकर वाइल्डलाइफ तक पढ़ाई की, कोई वैल्यू ही नहीं रह गई, क्योंकि हाथी को कैसे खाना खिलाना है… बंदर को क्या पसंद है, लोमड़ी कैसे रहती है, यह पता करने के लिए एमपी के अधिकारियों को दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है। हालांकि निजी सेक्टर मामले में मजाक उड़ाने पर एक विधायक को कुछ सालों पहले सदन से निलंबित कर दिया गया था। बाद में जब खुलासा हुआ तो विधायक की तारीफ और सरकार की किरकिरी हुई। ये तमाम दृश्य अधिकारी देख चुके हैं, इसलिए अब सोशल मीडिया पर भड़ास भी निकाल रहे हैं।

उपहार में मिला था महंगा फाउंटेन पेन, अब अधिकारियों की जांच का फरमान लिखते हैं

मध्य प्रदेश में विपक्ष इस बात को लेकर हमेशा सवाल खड़े करता है कि जांच कभी किसी अधिकारी के खिलाफ क्यों नहीं होती? लेकिन मंत्रालय के गलियारों में इन दिनों एक फाउंटेन पेन की चर्चा खूब है। और ये पेन गृह विभाग में बैठे एक अधिकारी के पास है। यह पेन तभी निकलता है, जब किसी के खिलाफ जांच शुरू की जाती है। पिछले दिनों जब कलम चली तो दो पूर्व बड़े कद्दावर अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश हो गए। बताया जाता है कि पेन की कीमत जांच और घोटाले से जुड़ी हुई है। करोड़ों रुपए के घोटाले के मामले में ही यह पेन निकाला जाता है। कहा जाता है कि 9 से 10 हजार रुपए पेन की कीमत है। अधिकारी को किसी ने उपहार में दिया है। अब उसी कलम से अधिकारी जांच का फरमान लिख रहे हैं। करीबी बताते हैं कि जिन दो पूर्व अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं, वो पूर्व की सरकारों में काफी ताकतवर हुआ करते थे। अब फाउंटेन पेन से लिखने वाले अधिकारी के ट्रांसफर की कोशिश भी पूर्व अधिकारियों ने शुरू कर दी है।

साहब का शौक निराला… फिट होने की सनक में अधिकारी तो नहीं पर घोड़ा जरूर दुबला गया

पुलिस मुख्यालय में पदस्थ आला अधिकारी और उनके शौक भी निराले हैं। इन अलहदा शौक की चर्चा भी होती है। कॉफ़ी टेबल बैठने वाले अधिकारी इन दिनों अस्तबल में समय बिता रहे हैं। अधिकारी बीते कई महीनो से हॉर्स राइडिंग कर अपने आप को फिट करने की कोशिश कर रहे हैं। नतीजा ये हुआ कि अधिकारी तो फिट नहीं हुए पर घोड़े का दम जरूर फूलने लगा है। ट्रेनर भी कहने लगे हैं कि अधिकारी तो फिट नहीं हुए लेकिन हमारे घोड़े जरूर दुबले होने लगे हैं। हालांकि इससे पहले वन विहार के तत्कालीन डायरेक्टर से भी अधिकारी का विवाद हुआ था। वजह थी कि सरकारी गाड़ी में साइकिल लेकर सुबह फिटनेस के लिए वन विहार की सैर पर जाते थे। डायरेक्टर की आपत्ति थी कि अधिकारी आएं लेकिन टिकट लेकर वर्जिश करें और साइकिल चलाएं। खैर, वर्दी का रौब ऐसा कि महिला आईएफएस से ही विवाद हो गया। हालांकि बाद में अधिकारी को पुलिस मुख्यालय में ही फिटनेस क्लब ज्वॉइन करना पड़ा था।

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