Bhojshala: 1000 साल पुराना सरस्वती मंदिर, जहां से वाग्देवी की प्रतिमा लंदन ले गए अंग्रेज

धार का भोजशाला जिसे 1000 साल पहले राजा भोज ने बनवाया था
MP News: मध्य प्रदेश के धार (Dhar) जिले में भोजशाला (Bhojshala) स्थित है. यह वाग्देवी मंदिर या सरस्वती सदन कहा जाता है. ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर कहा जाता है कि इसका निर्माण राजा भोज ने करवाया था. ये ऐतिहासिक इमारत वास्तुकला और धार्मिक विरासत का मिश्रण है. इस स्थान को लेकर विवाद भी है. जहां हिंदू पक्ष इसे सरस्वती मंदिर मानता है, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे मस्जिद कहता है.
10वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
इस शानदार विरासत का नाम भी राजा भोज के नाम पर रखा गया है. भोज प्राचीन काल के महान और प्रख्यात राजा थे. इन्होंने ने ही 10वीं शताब्दी में भोजशाला का निर्माण करवाया था. उस समय इसे सरस्वती सदन या वाग्देवी मंदिर के नाम से जाना जाता था. ऐसा कहा जाता है कि यहां एक वाग्देवी की प्रतिमा थी जिसे अंग्रेज अपने साथ लंदन ले गए. जहां उन्होंने प्रतिमा को म्यूजियम में रख दिया.
हजारों विद्यार्थी पढ़ने आते थे
इसे संस्कृत विद्यालय के रूप में स्थापित किया गया था. जहां देश-विदेश से आए हजारों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे. विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा, साहित्य और शास्त्रों की शिक्षा दी जाती थी. इसके साथ ही गणित, तर्क भी सिखाया जाता है. यह विद्यालय उस समय का प्रमुख शैक्षिक केंद्र था. जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसिद्ध था.
ये भी पढ़ें: JSG फूड पर कार्रवाई का मामला, पायल मोदी ने कहा- हर दूसरे महीने छापेमारी की जा रही है, पहले EOW, FSSAI और अब ED
वास्तुकला का अद्भुत नमूना है
इस इमारत की वास्तुकला की बात करें तो ये इसे बीचोंबीच एक बड़ा सा हवनकुंड है. इसके बड़ा सा आंगन है. इस आंगन के सहारे पिलर्स के बाजू में बरामदा है. जिसमें एक ओर मंदिर बना हुआ है. इसके ऊपर गुंबद बना हुआ है.
भोजशाला के विवाद और सांप्रदायिक संघर्ष
भोजशाला को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद रहा है. जहां हिंदू पक्ष इसे सरस्वती मंदिर और मुस्लिम पक्ष मस्जिद मानता है. दोनों पक्षों में विवाद होने से रोकने के लिए यहां सप्ताह में दिन बांट दिए गए हैं. मंगलवार को केवल हिंदू पक्ष पूजा कर सकता है और शुक्रवार को केवल मुस्लिम पक्ष इबादत कर सकता है. समस्या तब होती है जब बसंत पंचमी शुक्रवार के दिन आ जाती है. तब प्रशासन विशेष इंतजाम करता है. इस विवाद के कारण इसे ‘मध्य प्रदेश की अयोध्या’ भी कहा जाता है.
अलाउद्दीन खिलजी ने हमला किया था
साल 1305 में में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर हमला किया. ऐसा कहा जाता है कि उसने यहां लूटपाट की. इमारत को नुकसान पहुंचाया. मंदिर की रक्षा में आगे आए करीब 1300 विद्यार्थियों को मौत के घाट उतार दिया. जब यहां से गया तो उसने दिलावर खान को यहां का कमांडर बना दिया. उसने इस इमारत को मस्जिद का रूप दिया.