भोपाल मेट्रो की लागत 2,500 करोड़ बढ़ी, निर्माण कार्य में देरी से कई साल आगे बढ़ा प्रोजेक्ट, अगली डेडलाइन 15 अगस्त रखी गई

Bhopal Metro: मेट्रो की लागत बढ़ने के पीछे कई सारी वजह हैं. जिनमें निर्माण सामग्री और लेबर चार्ज महंगा होना है. प्रोजेक्ट में देरी से लोन चुकाने की समय-सीमा भी बढ़ी है
Bhopal Metro's cost and timeline increased due to delay in construction work

निर्माण कार्य में देरी से भोपाल मेट्रो की लागत और समयसीमा बढ़ी

Bhopal Metro: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फ्लाइओवर, मेट्रो प्रोजेक्ट और परिवहन से जुड़े कई सारे विकास कार्य चल रहे हैं. लेकिन इन प्रोजेक्ट्स की धीमी चाल के साथ ही प्लानिंग और को-ऑर्डिनेशन की कमी की वजह से मेट्रो की लागत 2,500 करोड़ रुपये तक बढ़ चुकी है. यदि प्रोजेक्ट समय से पूरा हो जाता तो मंडीदीप और सीहोर के लिए फंड की कमी नहीं होती.

‘7 साल में DPR बनकर तैयार हुई’

साल 2009 में भोपाल मेट्रो के लिए घोषणा की गई थी. मार्च 2016 में डीपीआर बनकर तैयार हुई. इसमें ही 7 साल लग गए. साल 2018 में पहला वर्क ऑर्डर हुआ था. मेट्रो आ चुकी है, लेकिन स्टेशन अब तक तैयार नहीं हैं. प्रोजेक्ट की लागत करीब 7, 000 करोड़ रुपये है. चार साल में पूरा होना था. इस हिसाब से हर माह लगभग 145 करोड़ यानी रोज 4.86 करोड़ के काम होना था. टेंडर व वर्क ऑर्डर अलग समय में जारी हुए हैं. इसके बाद भी अतिक्रमण आदि से जो काम रुका है, उससे रोज 3 करोड़ रुपये का काम नहीं हो पा रहा है.

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इन वजहों से बढ़ी लागत

मेट्रो की लागत बढ़ने के पीछे कई सारी वजह हैं. जिनमें निर्माण सामग्री और लेबर चार्ज महंगा होना है. प्रोजेक्ट में देरी से लोन चुकाने की समय-सीमा भी बढ़ी है. अतिक्रमण आदि से जो काम रुका है, उससे रोज 3 करोड़ रुपये का काम नहीं हो पा रहा है. देर होने की वजह से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ गई है. प्रोजेक्ट में देरी से इसके लिए लिए लोन चुकाने की समय-सीमा भी बढ़ी है. इस कारण ब्याज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है.

क्या कहती है स्टेट्स रिपोर्ट?

जून 2024 तक स्टेट्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट में स्वीकृत लंबाई 27.87 किमी है. जिसकी कुल लागत 6,941 करोड़ रुपये है. राज्य द्वारा दी गई अंशदान राशि 1,288.38 करोड़ रुपये है वहीं केंद्र की ओर से मिली राशि 738.62 करोड़ रुपये है.

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‘यह फाइनेंशियल इश्यू है’

मेट्रो के निर्माण में बढ़ती लागत को लेकर PRO हिमांशू ग्रोवर का कहना है कि यह फाइनेंशियल इश्यू है. इस पर मेट्रो के अधिकारी लगातार रिव्यू भी कर रहे हैं. इधर, बढ़ते खर्च को लेकर एमपी विधानसभा की प्रक्कलन समिति ने समीक्षा की है. मेट्रो के अधिकारियों से चर्चा भी की गई है.

हाल के दिनों में मेट्रो का ट्रायल हुआ है. चुनौती रेलवे ट्रैक से एम्स तक मेट्रो चलाने की, फिर भी निर्माण के बाद आरओबी का ट्रैक पूरा हो चुका है. यह तो पहले फेस में कमी खामियों के बीच एक लेन बनकर फिलहाल तैयार हो चुकी है.

भोपाल को मेट्रो सिटी विकसित करने का लक्ष्य 2027 का है लेकिन पुराने शहर में मेट्रो को चलाने के लिए 700 करोड़ अंडरग्राउंड टनल में खर्च होंगे. वैसे भी भोपाल के लोग काफी परेशानियां की मार खा चुके हैं.

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