कांवड़ यात्रा ‘नेम प्लेट’ विवाद पर दिग्विजय सिंह का बयान; कहा- यह आपत्तिजनक, इसके बजाय लाइसेंस नंबर लगवाएं

Digvijaya Singh: सावन के महीने में निकलने वाली कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही सुर्खियों में छाए 'नेम प्लेट' विवाद पर दिग्विजय सिंह ने बड़ा बयान दिया है.
Digvijaya Singh

दिग्विजय सिंह

Digvijaya Singh: सावन के महीने में निकलने वाली कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही ‘नेम प्लेट’ विवाद सुर्खियों में छाया हुआ है. अब इसे लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दुकान पर नेम प्लेट लगाने के बजाय आप उसके लाइसेंस नंबर को लगवा दीजिए.

दिग्विजय सिंह ने दी प्रतिक्रिया

कांवड़ यात्रा को लेकर जारी नेम प्लेट विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा- ‘यह आपत्तिजनक बात हो जाती है. जो दुकानदार है, जो व्यावसाय में हैंउसके लिए आप परमिशन-लाइसेंस देते हैं. दुकान पर नाम की जगह उसका लाइसेंस नंबर लगवा दीजिए. लाइसेंस नंबर न हो तो फाइन लगा दीजिए.’

क्या है कांवड़ यात्रा ‘नेम प्लेट’ विवाद?

उत्तर प्रदेश में सावन माह के दौरान होने वाली कांवड़ यात्रा से पहले नेम प्लेट को लेकर विवाद सुर्खियों में है. यह विवाद कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानों, ढाबों और रेस्तरां में मालिकों और कर्मचारियों की पहचान उजागर करने की मांग से जुड़ा है. पूरा विवाद मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा से पहले ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ नामक एक ढाबे पर हुए हंगामे को लेकर शुरू हुआ है. आरोप है कि इस ढाबे पर जब हिंदू संगठनों ने मालिक और कर्मचारियों से उनकी पहचान और आधार कार्ड मांगने की कोशिश की तो ढाबे का मालिक मुस्लिम समुदाय से था, जिसके बाद संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर विवाद खड़ा कर दिया. इस घटना में कुछ कार्यकर्ताओं ने कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार भी किया, जिसका मामला पुलिस तक पहुंचा.

इसके बाद स्वामी यशवीर महाराज ने इस मुद्दे को सबसे पहले उठाया और कांवड़ मार्ग पर दुकानों और ढाबों पर नेम प्लेट लगाने की मांग की. उनका कहना था कि कांवड़ यात्रा एक धार्मिक परंपरा है और इस दौरान केवल सनातन संस्कृति का सम्मान करने वाले लोगों को ही व्यवसाय करने की अनुमति होनी चाहिए.

साल 2024 में नेम प्लेट लगाने का आदेश

18 जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों और ढाबों पर मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने का आदेश जारी किया था. इस फैसले का उद्देश्य पारदर्शिता और श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना बताया गया. हालांकि, इस आदेश पर जमकर सियासत हुई और इसे सांप्रदायिक भेदभाव से जोड़कर देखा गया.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई 2024 को इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को खाने का प्रकार प्रदर्शित करने का निर्देश दिया जा सकता है, लेकिन नाम लिखने के लिए बाध्य करना उचित नहीं है. कोर्ट ने इसे पुलिस की शक्ति का दुरुपयोग करार दिया.

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विश्व हिंदू परिषद (विहिप) समेत अन्य हिंदू संगठनों ने कांवड़ मार्ग पर ढाबों और होटलों पर मालिकों के नाम के साथ-साथ भगवान की तस्वीरें और भगवा झंडे लगाने की मांग की. मेरठ में इन संगठनों ने एक अभियान शुरू किया, जिसमें ढाबा संचालकों को उनकी पहचान उजागर करने के लिए कहा गया.

साध्वी प्राची ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया और कहा कि कुछ लोग नाम बदलकर शिवभक्तों की आस्था के साथ खिलवड़ कर रहे हैं. उन्होंने कांवड़ यात्रा को धार्मिक परंपरा बताते हुए इसकी पवित्रता बनाए रखने की वकालत की.

जून 2025 में आदेश

अब 2025 में कावंड़ यात्रा शुरू होने से पहले फिर निर्देश जारी किए गए हैं. कांवड़ यात्रा 11 जुलाई 2025 से शुरू होने वाली है. इससे पहले 25 जून को उत्तर प्रदेश के CM योगी ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि कांवड़ मार्गों पर खुले में मांसाहारी भोजन की बिक्री पर सख्त रोक रहेगी. सभी विक्रेता अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करेंगे. जुलूस के मार्गों पर प्रतिबंधित जानवरों का प्रवेश रोका जाएगा. खाद्य वस्तुओं की कीमतें तय की जाएंगी ताकि श्रद्धालुओं से मनमानी वसूली न हो.

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