‘मैं साध्वी नहीं हूं…’, महाकुंभ में वायरल हुईं हर्षा रिझारिया बोलीं- मैंने कभी स्वयं को साध्वी नहीं कहा
इंफ्लूएंसर हर्षा रिझारिया
Harsha Richhariya: महाकुंभ-2025 में ‘सुंदर साध्वी’ के रूप में पहचान बनाने वाली मेकअप आर्टिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता और इंटरनेट मीडिया इंफ्लूएंसर हर्षा रिझारिया ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने कभी खुद को साध्वी नहीं बताया. उनका कहना है कि केवल भगवा वस्त्र धारण कर लेने से कोई साधु या साध्वी नहीं बन जाता है. संन्यास एक कठिन और लंबी परंपरा है, जिसे अपनाने के लिए गहन तपस्या और त्याग की आवश्यकता होती है, और वह फिलहाल उस मार्ग के लिए स्वयं को तैयार नहीं मानतीं.
युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए चला रही अभियान
हर्षा इन दिनों युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए सक्रिय अभियान चला रही हैं. सर्वांगीण समृद्धि समाज उत्थान समिति के बैनर तले वह 27 दिसंबर को प्रयागराज के श्रीकटरा रामलीला कमेटी प्रांगण से एक बड़े सामाजिक अभियान की शुरुआत करने जा रही हैं. दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दौरान उन्हें साध्वी के रूप में प्रस्तुत किया गया, जबकि यह उनकी पहचान नहीं थी. उन्होंने हर मंच से इस छवि का खंडन किया है. सामाजिक कार्यों से उनका जुड़ाव पहले भी था और आगे भी बना रहेगा.
वातावरण के अनुरूप धारण किया था भगवा
महाकुंभ में उनके भगवा वस्त्र, माला और चंदन लगाने को लेकर पूछे गए सवाल पर हर्षा ने कहा कि कुंभ सनातन धर्म की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र होता है. संगम की रेत पर पहुंचकर कई लोग वैराग्य का अनुभव करते हैं. उस वातावरण में उन्होंने भी भगवा धारण किया, जैसे हजारों श्रद्धालु करते हैं, लेकिन इसका अर्थ संन्यास लेना नहीं होता.
फिल्मों और ओटीटी प्लेटफॉर्म के कई प्रस्ताव खारिज किए
फिल्मों या ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काम करने के लिए स्वरूप बदलने की बात को उन्होंने सिरे से खारिज किया. उन्होंने बताया कि महाकुंभ के बाद उन्हें कई वेब सीरीज और ओटीटी प्रोजेक्ट्स के प्रस्ताव मिले, लेकिन उन्होंने उन्हें ठुकरा दिया क्योंकि उनका रुझान उस क्षेत्र में नहीं है. साध्वी कहे जाने से वह इसलिए भी बचती हैं क्योंकि संन्यास के लिए परिवार, समाज और सांसारिक जीवन का त्याग करना पड़ता है, जो वह नहीं कर सकतीं. उनका मानना है कि परिवार और समाज के साथ रहकर भी राष्ट्रहित में काम किया जा सकता है.
राष्ट्रहित में हर्षा का प्रयास हमेशा जारी रहेगा
भविष्य को लेकर हर्षा का कहना है कि वह न तो विवाह से इनकार करती हैं और न ही संन्यास की संभावना से, लेकिन आगे क्या होगा यह कहना अभी संभव नहीं है. इतना तय है कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और राष्ट्रहित के लिए उनका प्रयास हमेशा जारी रहेगा.
नशे को बताया समाज और राष्ट्र के लिए गंभीर चुनौती
युवाओं में बढ़ती नशे की लत को लेकर हर्षा ने इसे समाज और राष्ट्र के लिए गंभीर चुनौती बताया. उन्होंने कहा कि नशा युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहा है, इसलिए सभी को मिलकर इसके खिलाफ अभियान चलाना होगा. उनकी पहल से देशभर के लोग जुड़ रहे हैं, जिससे उन्हें भरोसा है कि सकारात्मक बदलाव संभव है.
प्रयागराज से नारी जागृति और सशक्तिकरण अभियान शुरू करने के पीछे की वजह बताते हुए हर्षा ने कहा कि यह शहर उनके जीवन में विशेष स्थान रखता है. यहीं से उन्हें पहचान मिली और यह तीर्थराज प्रयाग आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है. इसी कारण उन्होंने अपने नए अभियान की शुरुआत इसी भूमि से करने का निर्णय लिया है.
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