MP में 1.25 करोड़ का दवा घोटाला… फॉर्मा कंपनी को फायदा दिलाने के लिए बड़ा फर्जीवाड़ा, EOW ने किया खुलासा

MP News: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिला स्थित मेडिकल मेडिकल कॉलेज में 1.25 करोड़ का दवा घोटाला सामने आया है. EOW की जांच में खुलासा हुआ है कि फॉर्मा कंपनी को फायदा दिलाने के लिए बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया. जानें पूरा मामला-
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जबलपुर मेडिकल अस्पताल

MP News: एक बार फिर मध्य प्रदेश में नया घोटाला उजागर हुआ है. जबलपुर जिला स्थित शासकीय नेताजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 1.25 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है. यहां नियमों को नजरअंदाज कर दवाइयों और सर्जिकल सामग्री की खरीद की गई. EOW की जांच में पूरा घोटाला सामने आया, जिसके बाद तत्कालीन अधीक्षक, फार्मासिस्ट और कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

1.25 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान

EOW की जांच में सामने आया कि मेडिकल कॉलेज में दवा व सर्जिकल सामग्री खरीदी के नाम पर बड़ा घोटाला किया गया. आरोपियों ने वित्त अधिकारी की सलाह के खिलाफ कंपनी से दवाइयां और सर्जिकल सामग्री खरीदीं, जिसके लिए सवा करोड़ रुपयए का अतिरिक्त भुगतान किया गया. EOW के मुताबिक साल 2011-2012 में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए दवाइयों और सर्जिकल सामग्री की खरीद के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी. निविदा के बाद L1 से L5 तक के निविदाकारों ने सामग्री आपूर्ति करने से मना कर दिया. इसके बाद वित्त अधिकारी ने इन निविदाकारों का सिक्योरिटी डिपॉजिट जब्त कर नया टेंडर जारी किया.

कैसे हुआ घोटाला?

जांच में सामने आया तब तक L6 निविदाकर्ता मेसर्स मेडिनोवा फार्मास्यूटिकल एंड सर्जिकल डिस्ट्रीब्यूटर से दवाइयां और सर्जिकल सामग्री खरीदने की अनुमति दी गई. 18 अक्टूबर 2011 को L6 के साथ अनुबंध किया गया और L1 से L5 की सिक्योरिटी डिपॉजिट जब्त की गई. फार्मासिस्ट आर.पी. दुबे ने 11 जनवरी 2012 को क्रय शाखा का प्रभार संभाला. उन्होंने वित्त अधिकारी की सलाह को नजर अंदाज कर 2013 तक मेसर्स मेडिनोवा से महंगे दामों पर सामग्री खरीदी. फर्म को 7.63 करोड़ की खरीदी में 1.25 करोड़ अतिरिक्त भुगतान करने का खुलासा हुआ है.

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2009 के प्रावधानों की अनदेखी

वित्त अधिकारी के अभिमत के मुताबिक नई खरीद के लिए नया टेंडर जारी करना था. तत्कालीन संयुक्त संचालक स्वास्थ्य और मेडिकल कॉलेज की अधीक्षक सविता वर्मा ने ठेकेदार कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए अनुबंध में समाप्ति तिथि का उल्लेख नहीं किया. दवा खरीद नीति 2009 के प्रावधानों की अनदेखी कर ठेकेदार कंपनी को सवा करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया. ईओडब्ल्यू ने तीनों आरोपियों के खिलाफ धारा 409, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

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