एमपी हाई कोर्ट में ई-रिक्शा के खिलाफ याचिका, मोटर व्हीकल एक्ट में सुधार की मांग, HC ने केंद्र और राज्य से 4 हफ्तों में मांगा जवाब
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट(File Photo)
MP News: सड़कों में बेलगाम ई-रिक्शा की धमाचौकड़ी से यातायात प्रभावित हो रहा है. इस अहम मुद्दे को लेकर जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जिसमें मोटर व्हीकल एक्ट में हुए संशोधन को चुनौती दी गई है. याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार समेत जबलपुर के एसपी एवं कलेक्टर और आरटीओ को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने चार हफ्तों की भीतर जवाब मांगा है.
मोटर व्हीकल एक्ट के आधार पर याचिका
जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाचपांडे की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि वाहनों के लिए बनाए गए मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत ई रिक्शा नहीं आते हैं. क्योंकि भारत सरकार ने 2018 में मोटर व्हीकल एक्ट के नियम 66 में संशोधन कर नोटिफिकेशन जारी किया था. जिसके तहत ई रिक्शा और बैटरी चलित वाहन को मोटर व्हीकल एक्ट से बाहर कर दिया गया था. जिसकी वजह से ई रिक्शा चलाने के लिए ना तो ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत है और ना ही किसी तरह की परमिट की और नियम में किए गए इन्हीं संशोधनों का फायदा अब लोग उठा रहे हैं.
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मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन को चुनौती
मोटर व्हीकल एक्ट के तहत मिली छूट की वजह से शहर की सड़कों पर ई-रिक्शा का तांडव देखने को मिल रहा है. नाबालिग भी ई-रिक्शा चलाते देखे जा सकते हैं क्योंकि ई-रिक्शा के लिए ना ड्राइवर लाइसेंस की जरूरत है और ना ही किसी तरह की परमिट की. कानूनी कार्रवाई भी ई-रिक्शा पर नहीं की जा सकती है. जनहित याचिका के जरिए मोटर व्हीकल एक्ट में हुए संशोधन को चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट ने अहम मामले पर सुनवाई करने के बाद केंद्र सरकार राज्य सरकार जबलपुर कलेक्टर पुलिस अधीक्षक और जबलपुर आरटीओ को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.