Madhya Pradesh के सीनियर विधायकों ने बढ़ाई मोहन कैबिनेट के मंत्रियों की मुश्किलें, विधानसभा में सबसे आगे रहे BJP के दो पूर्व मंत्री
मध्य प्रदेश विधानसभा
Madhya Pradesh: दिल्ली से मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय नेताओं के लिए BJP के पूर्व विधायकों ने मोहन कैबिनेट के मंत्रियों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. सबसे ज्यादा बुंदेलखंड से आने वाले दो सीनियर विधायक, जो कभी मंत्री भी रहे हैं. यह दोनों सीनियर लीडर विधानसभा में कैबिनेट मंत्रियों को जमकर घेर रहे हैं.
अपनी ही सरकार को घेर रहे पूर्व मंत्री
अभी तक BJP के विधायक खुलकर मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा सदन में नहीं खोलते थे, लेकिन यह परंपरा बीजेपी के भीतर टूट चुकी है. BJP की विधायक दल की बैठक के बाद भी पूर्व गृह मंत्री और खुरई से विधायक भूपेंद्र सिंह ने मंत्री को दो टूक कह दिया कि वह अब खुद देख लें. यह कहने के बाद उन्हें पार्टी ने तुरंत बुलाया लेकिन दूसरे दिन तो भूपेंद्र सिंह ने और भी ज्यादा तल्ख बयान दिया.
BJP विधायक ने अपनी सरकार को घेरा
उन्होंने अपनी सरकार को घेरकर हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में यौन शोषण रोकने के लिए कोई नियम नहीं बना है. सागर में जमकर वसूली हो रही है. सोमवार को स्कूल शिक्षा मंत्री के सामने निजी स्कूल में यौन शोषण के मामले में जमकर घेरा, दूसरे दिन उन्होंने मंत्री को भी सलाह दी. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जब सरकार टोल टैक्स बंद कर चुकी है, फिर भी खुरई में टोल से टैक्स वसूला जा रहा है. क्षेत्र की जनता के लिए तो विधानसभा में मुद्दा तो उठाना ही पड़ेगा. यह पहला मौका नहीं है.
भार्गव का बयान और बताया सदन में विधानसभा का इतिहास
बीजेपी की सरकार में सीनियर विधायक को यदि यह कहना पड़े कि पुराने दिन लाने होंगे तो वह राजनीति में कहीं न कहीं सरकार से नाराजगी की ओर तो इशारा नहीं करता. इसके पीछे की वजह है कि गोपाल भार्गव पुरानी विधानसभा की कार्रवाई की जिक्र था. उस दौरान कांग्रेस की अधिकांश समय तक सरकार रही. भार्गव ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि पुरानी विधानसभा में इससे छोटा हॉल था, लेकिन पक्ष-विपक्ष में प्रेम भाव था. मिंटो हॉल में जब विधानसभा चलती थी तब सबको बोलने का मौका मिलता था. हमको पुराने दिन लाने होंगे.
बहुत कुछ कह गए विधायक
भार्गव को संभवतः बीजेपी की सरकार में पुराने सदन के अच्छे याद आ ही गए क्योंकि सब अच्छा चल रहा होता तो बीजेपी सरकार में विधानसभा की कार्यवाही का जिक्र जरूर करते लेकिन भूल बिसरे दिनों को याद करते हुए भार्गव बहुत कुछ कह गए. राजनीति ने यूहीं कुछ नहीं होता है. आखिर इशारे में तो गोपाल बहुत कुछ कह गए.
इससे पहले जुलाई में बजट सत्र के दौरान भी पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस और प्रभुराम चौधरी ने भी पीएचई और जल संसाधन मंत्री को तो जमकर लताड़ लगाई. क्योंकि कागजों में नल से जल आ रहा है लेकिन हकीकत में पाइप बिछने के बाद भी नल से जल नहीं आया. जनता के गुस्से और क्षेत्र में अधूरे विकास पर सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया.