Morena: सीएम मोहन यादव ने 10 घड़ियालों को चंबल नदी में छोड़ा, बोले- घड़ियाल शावकों को मिला नया घर, सबसे ज्यादा 2,456 घड़ियाल यही हैं
मुरैना में CM मोहन यादव 10 घड़ियाल चंबल नदी में छोड़े
Morena News: अपनी दबंग छवि के रूप में पहचान रखने वाला चंबल अब घड़ियाल अभ्यारण के रूप में बड़ी पहचान बनाने जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मुरैना जिले के चंबल में घड़ियालों को पानी में छोड़कर इस इलाके को बड़ा पर्यटक क्षेत्र बनाने की पहल की है. मुख्यमंत्री ने कहा की टाइगर स्टेट और चीता स्टेट के बाद अब मध्य प्रदेश घड़ियाल अभयारण्य के रूप में भी जाना जाएगा.
चंबल को मिली सौगात
वन्य प्राणी संरक्षण और उनको बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश अब दुनिया के नक्शे पर अलग पहचान बनाता जा रहा है. टाइगर स्टेट के रूप में मध्य प्रदेश पहले से ही जाना जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीते लाकर इसे और बड़ी सौगात दी और अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ग्वालियर चंबल अंचल को घड़ियाल अभ्यारण के रूप में पहचान दिलाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. हालांकि इस चंबल में घड़ियाल पहले से ही दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं. लेकिन अभ्यारण बनाकर इसे पर्यटन के क्षेत्र में आगे लाने की पहल मध्य प्रदेश सरकार ने की है.
सीएम ने 10 घड़ियालों को नदी में छोड़ा
सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव मुरैना जिले की चंबल नदी में बनाए गए घड़ियाल अभ्यारण में पहुंचे. सीएम के साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा प्रदेश सरकार के मंत्री एदल सिंह कंषाना के साथ प्रशासन और पुलिस के बड़े अधिकारी भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बोट पर बैठकर जब चंबल में नौका विहार किया तो उनके चेहरे की खुशी बता रही थी कि वे इस अंचल की प्राकृतिक सौंदर्यता को आगे बढ़ने का सपना देख रहे हैं. सीएम ने चंबल नदी के किनारे पर 10 घड़ियालों को छोड़ा. उन्होंने एक के बाद एक बॉक्स खोले और घड़ियाल निकाल कर पानी में तैरते नजर आए. 10 घड़ियालों में एक नर और 9 मादा थे.
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यहां 2,456 घड़ियाल है
दुनिया में चंबल नदी घड़ियालों की सबसे बड़ी प्राकृतिक शरण स्थली है. विश्व भर में घड़ियालों की जितनी भी संख्या है. उसका 85 फीसदी चंबल में ही है. वर्तमान में यहां घड़ियालों की संख्या लगभग 2,456 के करीब है. मुरैना जिले में चंबल नदी का लगभग 6 किलोमीटर का एरिया ऐसा है जो घड़ियालों का बड़ा प्रजनन केंद्र है.
1978 में मिला वन्यजीव अभ्यारण्य का दर्जा
जहां सीएम ने घड़ियालों को नदी में छोड़ा उसे राष्ट्रीय चंबल वन्यजीव अभयारण्य के रूप में जाना जाता है. पर्यटकों के बीच चंबल बोट सफारी के लिए प्रसिद्ध है. यह मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयास से स्थापित एक प्रमुख संरक्षण परियोजना है. 1978 में मध्य प्रदेश सरकार ने इसे वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया. इसका मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और गांगेय डॉल्फिन का संरक्षण है.
अभ्यारण्य 435 वर्ग किमी में फैला है
इसके साथ ही यह घड़ियाल अभ्यारण 435 KM एरिया में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा में फैला हुआ है. हर साल चंबल नदी से 200 अंडे लाए जाते हैं, जिनमें से लगभग 180 घड़ियाल निकलते हैं. मई के महीने में चंबल नदी से अंडो को देवरी घड़ियाल पालन केंद्र में हेचरी सेंटर पर रखा जाता है. उसके बाद तीन साल उन्हें पाला जाता है. उसके बाद इन नन्हें घड़ियालों को चंबल नदी में छोड़ा जाता है.