MP News: रायसेन की सोम ग्रुप की वाइन फैक्ट्री का लाइसेंस निलंबित, नाबालिग बच्चों से काम कराने पर हुए सख्त एक्शन

Madhya Pradesh News: शराब फैक्ट्री संचालक सोम ग्रुप ने आरोपों को गलत बताते हुए जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था. जिसके बाद आबकारी आयुक्त ने फैक्ट्री का लाइसेंस 20 दिन के लिए निलंबित कर दिया.
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सोम डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की सोम ग्रुप की फैक्ट्री में नाबालिग बच्चों से मजदूरी कराने के खुलासे के बाद बुधवार को आबकारी विभाग ने लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई कर दी. इससे पहले विभाग ने फैक्ट्री संचालक को तीन दिवस में कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसमें फैक्ट्री में नाबालिग बच्चों से काम करने के साथ ही शासन के निर्देशों और लाइसेंस की शर्तों के उल्लंघन को लेकर जवाब मांगा गया था.

इस पर शराब फैक्ट्री संचालक सोम ग्रुप ने आरोपों को गलत बताते हुए जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था. जिसके बाद आबकारी आयुक्त ने फैक्ट्री का लाइसेंस 20 दिवस या श्रम विभाग के प्रतिवेदन प्राप्त होने जो भी बाद में आए तक निलंबित कर दिया.

लाइसेंस की शर्तों का सीधे उल्लंघन

आबकारी विभाग के अनुसार लाइसेंस की शर्तों के अनुसार शराब फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन कराएं जाना जरूरी है। नाबालिग बच्चों से फैक्ट्री में कार्य कराए जाने से स्पष्ट है कि इस शर्त का उल्लंघन किया गया है. दूसरा शराब फैक्ट्री में 21 वर्ष से कम आयु/ पागल को परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. रायसेन जिले की कलेक्टर की रिपोर्ट के अनुसार फैक्ट्री में 59 नाबालिग बालक/बालिकाएं कार्य करते पाएं गए.

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इन पर पहले हो चुकी कार्रवाई

इस मामले में रायसेन जिले की सेहतगंज मैसर्स सोम डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी कन्हैयालाल अतुलकर, आबकारी विभाग के तीन उप निरीक्षक प्रीति शैलेंद्र उइके, शैफाली वर्मा और मुकेश कुमार को निलंबित किया गया.

बच्चों के हाथों में संक्रमण

बचपन बचाओ आंदोलन एनजीओ की सूचना पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) सोम ग्रुप की रायसेन स्थित शराब फैक्ट्री का निरीक्षण किया था. इसमें नाबालिग 39 लड़के और 20 लड़कियां काम करते मिले. इन बच्चों के हाथ रसायन और अल्कोहल के संपर्क में आने से जल गए थे, जिनमें संक्रमण फैल गया. बच्चों से तय समय से ज्यादा घंटे काम कराया जा रहा था और उनको पूरी मजदूरी भी नहीं दी जा रही थी.

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