MP में RSS के सुरेश सोनी और विद्या भारती की किताबें पढ़ेंगे मध्य प्रदेश के छात्र, भारतीय ज्ञान परंपरा की किताबें खरीदने का शासन ने दिया आदेश
MP News: प्रदेश के कॉलेजों में खोले गए भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ द्वारा दो माह पहले खरीदी गईं श्रीमदभागवत और रामचरित्र मानस अब मात्र शो-केस की शोभा बढ़ाएंगी. इनकी जगह कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को भारतीय ज्ञान परंपरा सिखाने व पढ़ाने का काम करेंगी. आरएसएस प्रचारक सुरेश सोनी, डॉ. अतुल कोठारी, दीनानाथ बत्रा, देवेंद्र राव देशमुख सहित तीन दर्जन संघ नेताओं तथा विद्या भारती व संस्कृति उत्थान न्यास की किताबें खरीदने का फरमान उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से दिया गया है.
उच्च शिक्षा विभाग ने 88 किताबों की सूची समस्त कालेजों को भेजी है. सभी कालेजों को सारी किताबों की एक-एक प्रति तत्काल खरीदने का आदेश दिया गया है. उच्च शिक्षा विभाग का आदेश दो दिन पहले ही सारे कालेजों में पहुंचा है. इस आदेश के साथ ही एक लंबी सूची भी अटैच की गई है. सूची में 88 किताबें शामिल हैं. अधिकांश के साथ लेखकों के नाम दिए हैं तो बाकी किताबें प्रकाशनों के नाम से हैं. इन किताबों को खरीदने पर आने वाला खर्च सरकारी कालेजों में जनभागीदारी समिति के हेड से किया जाएगा तो प्रायवेट कालेज अपनी स्थायी निधि से खरीदी करेंगे. हर कालेज को 11 हजार 269 रुपए की किताबें खरीदना है.
खासबात यह है कि इस सूची के साथ ही प्रदेश में नए लेखकों की जमात सामने आई है. इनमें सारे लेखक व प्रकाशक एक ही विचारधारा से जुड़े हैं. जो सीधे तौर पर संघ और उसकी शैक्षणिक संस्था विद्या भारती, पुनरुत्थान आंदोलन, संस्कृति उत्थान न्यास से जुड़े हैं. जिन लेखकों की किताबें खरीदी जाना हैं वे सब भी संघ में ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं अथवा पूर्णकालिक रहे हैं.
मध्य प्रदेश में विवादों में भी आ चुके हैं सुरेश सोनी
इनमें प्रदेश के लिए जाना पहचाना नाम आरएसएस के प्रचारक सुरेश सोनी का है. संघ के सह सरकार्यवाह रहे सोनी की तीन किताबें भारत में हमारी सांस्कृतिक, विचारधार विज्ञान की के मूल प्रांत उज्ज्वल परंपरा, लिपुष विद्ययति मैरेयवपुः तेजःआप भट्ट, संघ के सह सरकार्यवाह रहे सोनी भाजपा के प्रभारी भी रहे हैं, लेकिन व्यापमं में नाम आने के बाद उनके साथ विवाद भी जुड़ गए. वहीं प्रकाशनों में शामिल विद्या भारती संस्थान भी प्रदेश के लोगों के लिए बीते दो दशकों में एक जाना-पहचाना नाम है, जो शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है. सोनी के अलावा इस सूची में जिन लेखकों को प्रमुखता से शामिल किया गया है.
इन लेखकों की किताबें खरीदने का भी फैसला
उनमें डॉ. अतुल कोठारी की दीनानाथ बत्रा, देवेंद्र राव देशमुख, इंदुमती काटदरे, डॉ. कैलाश विश्वकर्मा, डॉ. गणेशदत्त शर्मा, डॉ. सतीश चंद्र मित्तल, संदीप वासलेकर, वीजी उनकालकर, वीके गुप्ता, डॉ. देवीप्रसाद वर्मा, श्रीराम चौथाई वाले, हरिशंकर शर्मा, डॉ. बजरंगलाल गुप्ता, राकेश भाटिया, डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल, सलील ज्ञवाली, रविचंद्र गुप्ता, एसएनशर्मा, रविचंद्र गुप्ता, डॉ. हिम्मत सिंह सिंहा, नरेंद्र सिंह रावल, कृष्णाजी शंकरा पटवर्धन, चांद किरण सलूजा, सच्चिदानंद वंदना खेतान, वंदना शांतुइंदु प्रमुख हैं.
कोठारी व बत्रा की 10 से ज्यादा किताबें
भारतीय परंपरा, संस्कारों और जीवन मूल्यों के लिए संघ व भाजपा स्वामी विवेकानंद को ही आधार मानता है. जबकि आधुनिक युग में गिजुभाई को शिक्षा व्यवस्था में सुधार का आदर्श माना जाता है. मगर उच्च शिक्षा विभाग के लिए ये दो महापुरूष भी संघ नेताओं के आगे गौण ही हैं. जो सूची भेजी गई है उसमें स्वामी विवेकानंद की तीन, गिजुभाई की मात्र एक, वेद प्रताप वैदिक की भी एक किताब शामिल की गई है. जबकि संघ के प्रचारक दीनानाथ बत्रा की 14, डॉ. अतुल कोठारी की 10, देवेंद्र राव देशमुख की 4, सुरेश सोनी, डॉ. कैलाश विश्वकर्मा, उनकालकर व सलील ज्ञवाली की 3-3 किताबें खरीदने का आदेश विभाग ने दिया है.
विद्या भारती और संघ की किताबें महंगी
वहीं विद्या भारती की 3 किताबें व संकलन को सूची में जगह दी गई है. सबसे महंगी किताबें भी संघ नेताओं की उच्च शिक्षा विभाग की इस सूची में जो किताबें रखी गई हैं, उनमें सबसे अधिक महंगी किताबें भी संघ के नेताओं की ही है.
सरकारी सरकारी कॉलेज की रैंकिंग, खराब रिव्यू में भी पीछे
स्वामी विवेकानंद की रैकिंग व रिव्यूह में काफी पीछे खास बात यह है कि जिन किताबों को उच्च शिक्षा विभाग ने कालेजों के लिए सिलेक्ट किया है, वे सभी रैकिंग, रिव्यूह और फॉलोअर के मामले में काफी पीछे हैं. ऑनलाइन मौजूद रैकिंग, रिव्यूह के मामले में जहां स्वामी किताबें जहां 20 व 30 रुपए की हैं तो कोठारी की किताबों की कीमत 100-500 रुपए की हैं. बत्रा की किताबें भी 100 से 500 रुपए की हैं. सुरेश सोनी की किताबें भी 30-125 रुपए की हैं.