MP News: प्रदेश में महिला सशक्तिकरण योजनाओं की हकीकत, 9 साल में बढ़ गए लाभार्थी, केंद्र सरकार ने 3 साल में कम कर दिया बजट
MP News: मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार की तरफ से महिला सशक्तिकरण को लेकर कितना काम हो रहा है. इसका जवाब केंद्र सरकार ने खुद ही दिया है. केंद्र सरकार से मध्य प्रदेश के दो सांसदों ने महिला सशक्तिकरण को लेकर सवाल पूछे थे. जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि मध्य प्रदेश में पिछले 9 साल में लगातार हितग्राही बढ़ते गए और केंद्र सरकार उन्हें योजनाओं के तहत राशि भी आवंटित कर रही है. इस रिपोर्ट को एनालिसिस करते हुए पाया गया कि एक तरफ लाभार्थी बढ़ते गए. वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार की तरफ से बजट भी काम होता गया.
सांसद संध्या राय और आलोक शर्मा का सवाल
दोनों ही सांसदों ने केंद्र सरकार से पूछा कि प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की योजनाएं क्या है. पिछले 3 सालों में मध्य प्रदेश में चलाई जा रही सशक्तिकरण योजनाओं के संबंध की जानकारी दी जाए. इन योजनाओं में प्रतिवर्ष कितनी राशि दी जा रही है.
ये भी पढ़ें: छतरपुर में दर्दनाक हादसा, 7 श्रद्धालुओं की मौत, CM मोहन यादव ने हादसे पर जताया दुख
महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने दिया जवाब
मध्य प्रदेश में एचईडब्ल्यू के लिए मध्य प्रदेश को 2022-23 में शून्य बजट दिया गया. साल 2023 24 में 4 करोड़ 95 लाख रुपए दिए गए. ठीक इसी तरीके से मिशन शक्ति के तहत पीएमएमवीवाई साल 2021-22 में 130 करोड़, 2022-23 में 204 करोड़, 2023 24 में 105 करोड रुपए दिए गए. सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण आहार के तहत पीएम जर्मन के लिए 2022-23 में शून्य राशि दी गई. 2023 24 में 26 करोड रुपए दिया गया है.
मध्य प्रदेश के लाभार्थी साल लाभार्थियों की संख्या
2016 – 6996690
2017 -7693793
2018 – 8051031
2019- 7997709
2020- 7509662
2021- 7506390
2022- 7600000
2023- 6697030
जून 2024 – 7684764
18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के लिए कई योजनाएं चल रही केंद्र सरकार
सांसदों ने यह भी पूछा कि मध्य प्रदेश में किशोरियों के लिए सरकार कौन-कौन से कम कर रही है. जिस पर बताया गया कि मध्य प्रदेश में 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के लिए समग्र विकास की कोई योजनाएं हैं. मिशन सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण आहार दो के तहत इस योजना के तहत 14 से 18 वर्ष की किशोरियों को लाभ दिया गया है. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ खेलो इंडिया के साथ उच्चतर माध्यमिक स्तर पर बालिकाओं में स्कूल छोड़ने की दर को काम किया गया है. खास तौर पर अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग की 10 से 18 आयु की बालिकाओं को शामिल किया गया है. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजनाओं के तहत उन्हें परामर्श करियर अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता भी दी जा रही है.