MP के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल दूसरे राज्यों में पहली बार बनवा चुके हैं BJP की सरकार, झारखंड में शिवराज की अग्नि परीक्षा
MP News: भाजपा के तीन नेता ऐसे जिनके बीच रिश्ते बनते-बिगड़ते रहे, लेकिन उन्होंने साबित किया कि उनमें प्रदेश और प्रदेश के बाहर चुनावी रुख मोड़ने का माद्दा है. मुद्दा कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और शिवराज सिंह चौहान से जुड़ा हुआ है. कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल ने ऐसे राज्यों में भाजपा की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई, जहां पार्टी कभी जीत नहीं दर्ज की थी.
अब पार्टी ने शिवराज सिंह को झारखंड का प्रभारी बनाकर वहां कमल खिलानेकी चुनौती दी है हालांकि उनके लिए यह इतना कठिन नहीं है, क्योंकि झारखंड बनने के बाद से अधिकतर समय वहां भाजपा की सरकार ही रही है . शिवराज सिंह चौहान अब केंद्रीय मंत्री की भूमिका में है. ऐसे में उन्हें आला कमान के सामने बेहतर परफॉर्मेंस देने की चुनौती रहेगी. शिवराज सिंह चौहान वह नेता है जब पार्टी की तरफ से जिम्मेदारी दी जाती है तो फिर वहां पर काम करने का बेहतर अनुभव काम आता रहा है. यह मध्य प्रदेश में कई चुनाव में स्पष्ट भी हुआ है. यही वजह है कि झारखंड में शिवराज सिंह चौहान को भेजना पार्टी की मजबूरी भी है.
10 साल पहले हरियाणा में भाजपा को दो से पहुंचाया था 47 पर
कैलाश विजयवर्गीय 2014 में हरियाणा के प्रभारी थे. तब लोकसभा के बाद विधानसभा के चुनाव हुए थे. तब राज्य में पहली बार पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बनी और मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने थे. विजयवर्गीय ने वहां
संगठनात्मक रूप से हाशिए पर पड़ी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी और ‘लालों’ की राजनीति वाले प्रदेश में एक नई इबारत लिखी थी. उनकी संगठनात्मक क्षमता, कुशल रणनीति और मेहनत के चलते भाजपा 2 से बढ़कर 47 सीटों पर पहुंच गई थी. उसके बाद उन्हें प. बंगाल की जिम्मेदारी दी गई थी.
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मणिपुर में प्रहलाद 2 से 36% पर लाए भाजपा का वोट शेयर
प्रहलाद पटेल ने ऐसा ही करिश्मा मणिपुर में दिखाया. उनके प्रभार में 2017 में वहां भाजपा पहली बार सत्ता पर काबिज हुई थी. हालांकि भाजपा को 60 में से 21 सीटें मिली थी, जबकि कांग्रेस ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन भाजपा ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 33 विधायकों के समर्थन के साथ मणिपुर में पहली बार सरकार बनाई. मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत करीब 20 गुना बढ़कर 36 प्रतिशत पर आ गया, जबकि 2012 में भाजपा को मात्र 2.12 प्रतिशत ही वोट मिले थे. 2017 में कांग्रेस 35.1 प्रतिशत वोट ही ले पाई. इससे प्रहलाद पटेल का कद बढ़ा था.
वोट प्रतिशत बढ़ाकर सत्ता में वापसी का बड़ा चैलेंज
शिवराज सिंह अब केंद्र की राजनीति में पांचवें नंबर पर हैं. मोदी मंत्रिमंडल में उन्हें कृषि और ग्रामीण विकास जैसा बड़ा विभाग दिया गया है. साथ ही झारखंड में विधानसभा चुनाव का प्रभार दिया गया है. प्रभार मिलने के बाद वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को अपने पाले में ले आए. चंपई कोल्हान बेल्ट के टाइगर माने जाते हैं. कई सीटों पर उनका प्रभाव रहा है. पिछले चुनाव में कोल्हान बेल्ट से भाजपा साफ हो गई थी. माना जा रहा है कि जिन चार राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें झारखंड ऐसा राज्य है, जहां भाजपा के लिए संभावनाएं ज्यादा हैं.