MP News: कक्षा 1 से 12वीं तक के छात्रों के लिए हफ्ते में 1 दिन रहेगा No Bag Day, आयुक्त लोक शिक्षण ने दिए निर्देश
Education Department: स्कूल शिक्षा विभाग ने नई पॉलिसी को लागू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. इसके मुताबिक कक्षा 1 से 12वीं तक के विद्यालयों में हफ्ते में एक दिन नो बैग(No Bag Day) डे होगा. यह व्यवस्था सभी सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों में लागू होगी. साथ ही पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को होम वर्क नहीं दिया जाएगा. पहली कक्षा के छात्रों के स्कूल बैग का अधिकतम वजन 2 किलो 200 ग्राम होगा. जबकि 10वीं कक्षा के छात्रों के बस्ते का अधिकतम वजन 4.5 किलोग्राम होगा. लोक शिक्षण संचालनालय ने स्कूल के बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करने के लिए सख्ती दिखाई है.
आयुक्त लोक शिक्षण अनुभा श्रीवास्तव ने नए शैक्षणिक सत्र 2024-25 से स्कूल बैग पॉलिसी का सख्ती से पालन कराने के निर्देश विगत माह जारी किए हैं. निर्देशों में कहा गया है कि, हफ्ते में एक दिन बच्चों के बगैर बैग के विद्यालय बुलाया जाए और उनसे व्यवसायिक कार्यानुभव से संबंधित गतिविधियां कराई जाएं, ताकि उनकी व्यवसायिक क्षेत्र में रुचि और ज्ञान बढ़े. यह भी तय किया है कि पहली से दूसरी कक्षा तक के छात्रों की अभ्यास पुस्तिकाएं, वर्क बुक और अन्य आवश्यक सामग्री स्कूल में ही रखने की व्यवस्था की जाए. बता दें कि विभाग ने 2020 में यह पॉलिसी जारी की थी, जिसका अब कड़ाई से पालन कराया जाएगा.
बस्ते के बोझ का चार्ट नोटिस बोर्ड में लगाना होगा
पॉलिसी के तहत पहली के विद्यार्थी के बस्ते का बोझ 1.6 से 2.2 किलो ग्राम और 10वीं के विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ 2.5 से 4.5 किलो ग्राम से अधिक नहीं रखा जा सकेगा. कक्षा 3 से 5 के विद्यार्थियों को प्रति हफ्ते 2 घंटे, छठवीं से आठवीं के विद्यार्थियों को प्रतिदिन 1 घंटे और नौवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को प्रतिदिन 2 घंटे का होमवर्क दिया जाएगा. विद्यालय को नोटिस बोर्ड पर बस्ते के बोझ का चार्ट प्रदर्शित करना होगा. कम्प्यूटर, नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, स्वास्थ्य, शारीरिक शिक्षा, खेल और कला की कक्षाओं में पुस्तकें लाना अनिवार्य नहीं होगा. विभाग ने साफ कहा है कि यह कक्षाएं बगैर पुस्तकों के ही लगाई जाएं.
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डीईओ को सौंपी गई है जिम्मेदारी
स्कूल बैग पॉलिसी के मुताबिक ही बस्ते का वजन हो, यह देखने और नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को सौंपी गई है। वे प्रत्येक तीन माह में विद्यार्थियों के बस्ते की रेडम जांच करेंगे। जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित विद्यालय प्रबंधनों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं.
बच्चो के बस्ते का वजन हो रहा था अधिक
छोटे बच्चो के बैग का वजन अधिक हो रहा था, जिसके कारण बच्चों को भी काफी परेशानियां हो रही थी लंबे समय से यह कवायत चल रही थी कि छोटे बच्चो के बस्ते का बोझ कम किया जाए अब यह एक शुरुआत की गई है जब एक दिन बस्ते का बोझ कम किया जाएगा इससे छोटे बच्चों को राहत मिलेगी.