MP News: वन विभाग का 2665 करोड़ रुपये का बजट; हाथियों के प्रबंधन के लिए सिर्फ 1 करोड़ रुपये

MP News: प्रोजेक्ट एलिफेंट की शुरुआत साल 1992 में भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी. हाथियों की संख्या में बढ़ोतरी और इनके शिकार को रोकने के लिए प्रोजेक्ट एलिफेंट की शुरुआत हुई थी
Elephant (file photo)

हाथी (फाइल फोटो)

MP News: प्रदेश में वन विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए 2 हजार 665 करोड़ रुपये से ज्यादा बजट है. इमारती लकड़ियों के उत्पादन के लिए 159 करोड़ रुपये का बजट है. हाथियों के प्रबंधन के लिए सिर्फ 1 करोड़ रुपये सालाना का बजट वन विभाग के पास है. पूरे एक करोड़ की राशि में ही हाथियों का प्रबंधन वन विभाग के अफसर कर लेते हैं.

वन विभाग को मिले 1.05 करोड़ रुपये

प्रदेश के वन विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए हर साल राशि का प्रावधान किया जाता है. वन विभाग सबसे कम राशि हाथियों के प्रबंधन पर खर्च करता है. इसमें भी हाथियों का प्रबंधन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. साल 2023-24 में हाथियों के प्रबंधन के लिए वन विभाग ने 1.05 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. इसमें से 62 लाख रुपये से अधिक राशि वन विभाग खर्च कर चुका है.

वहीं प्रोजेक्ट एलिफेंट के लिए वन विभाग ने इस साल सिर्फ 66 लाख रुपये रखे थे. बजट के हिस्से की ज्यादातर राशि खर्च हो चुकी है. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट है. प्रोजेक्ट टाइगर पर प्रदेश का बजट 200 से 300 करोड़ रुपये के बीच रहता है लेकिन हाथियों के प्रबंधन पर वन विभाग की कोई योजना ही नहीं है. यही वजह है कि इनके प्रबंधन के लिए बजट में भी इजाफा नहीं हो सका.

ये भी पढ़ें: सिंहस्थ में बिजली व्यवस्था पर खर्च होंगे 62 करोड़ रुपये; 4 अत्याधुनिक बिजली ग्रिड बनाए जाएंगे

प्रदेश में छत्तीसगढ़ से आते हैं हाथी

प्रदेश के रीवा, सीधी, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया के जंगल में ही हाथी हैं. प्रदेश के जंगलों में छत्तीसगढ़ से ही हाथी आते हैं. छत्तीसगढ़ से आने वाले हाथी शहडोल संभाग के अनूपपुर जंगलों से प्रदेश में प्रवेश करते हैं. वहीं रीवा संभाग से आने वाले सीधी जिले के संजय टाइगर रिजर्व की ओर जाते हैं. अनूपपुर से आने वाले हाथी शहडोल और उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और उमरिया के सामान्य वन मंडल को अपना ठिकाना बनाते हैं. वन विभाग को सिर्फ इन्हीं जिलों में हाथियों का प्रबंधन करने की जरूरत है.

क्या है प्रोजेक्ट एलिफेंट ?

प्रोजेक्ट एलिफेंट की शुरुआत साल 1992 में भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी. हाथियों की संख्या में बढ़ोतरी और इनके शिकार को रोकने के लिए प्रोजेक्ट एलिफेंट की शुरुआत हुई थी. प्रदेश में प्रोजेक्ट एलिफेंट नाम के लिए ही चल रहा है. यही वजह है कि इसके बजट में भी इजाफा नहीं हो पा रहा है. प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत प्राकृतिक आवासों को सुधारना, हाथी-मानव संघर्ष को नियंत्रित करना सहित कई काम किए जाते हैं. प्रोजेक्ट एलिफेंट मुख्य रूप से देश के 16 राज्यों में चल रहा है.

ज़रूर पढ़ें