MP News: गर्मी में आग की भट्टी बना रेल का इंजन, घोषणा के बाद भी रेलवे ने ट्रेनों के इंजन में नहीं लगवाएं AC, 45 से 50 डिग्री के बीच लोको पायलट दौड़ा रहे AC ट्रेन
Indian Railway: भीषण गर्मी में रेलवे का इंजन इन दोनों भट्टी की तरह तप रहा है. 45 से 50 डिग्री तापमान के बीच लोको पायलटों को ट्रेनों को चलना पड़ता है. क्योंकि उन इंजनों में एसी नहीं लगाए गए हैं. इसका नतीजा है कि सामान्य तापमान से 5 डिग्री ज्यादा तापमान इंजन में रहता है. ऐसे में उन्हें 50 डिग्री तापमान में तीनों का संचालन करना पड़ रहा है.
ट्रेनों में सभी यात्री एसी कोच में सफर कर रहे हैं लेकिन आज तक इन ट्रेनों के इंजन बिना एयर कंडीशन के चल रहे हैं. ट्रेनों को चलाने वाले लोको पायलटों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. इन दिनों तापमान 42 से 45 डिग्री चल रहा है और इंजन में तापमान 45 से 50 डिग्री तक पहुंच जाता है. फिर भी इंजन में ड्यूटी करने वाले लोको पायलटों को किसी भी प्रकार की राहत उपलब्ध नहीं है. तत्कालीन रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने घोषणा की थी कि ट्रेनों के साथ इंजन में भी एसी लगाए जाएंगे लेकिन कई साल बीतने के बाद भी योजना पर अमल नहीं हुआ. इसका नतीजा है कि लोको पायलटों को इंजन में बिना एसी के ड्यूटी करना पड़ रहा है जबकि यात्री एयर कंडीशन कोच में सफर कर रहे हैं. हालांकि रेलवे दावा कर रहा है कि आने वाले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक इंजन में एसी की व्यवस्था की जाएगी.
लोको पायलट ही नहीं ट्रैकमैन भी परेशान
ट्रेन की इंजन में काम करने वाले लोको पायलट के साथ ट्रेन के बाहर रेलवे पटरियों का रखरखाव करने वाले ट्रैकमैन को भी गर्मी के दिनों में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. रेलवे की तरफ से पटरियों का रखरखाव और उनका संरक्षण किया जाता है. यह काम ट्रैकमैन के जरिए होता है. गर्मी के मौसम में पटरियों पर काम करते हुए ट्रैकमैन को किसी भी प्रकार की राहत या फिर रेलवे की तरफ से सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती है. दोपहर में लंच के समय ट्रैकमैन किसी पेड़ या खंबे के नीचे बैठकर भोजन करते नजर आते हैं.
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अधिकारी नहीं देते ध्यान – अध्यक्ष मजदूर संघ
पश्चिम मध्य रेलवे मजदूर संघ के अध्यक्ष राजेश पांडे का कहना है कि पिछले कई सालों से मांग कर रहे हैं कि लोको पायलट के लिए इंजन में एसी की व्यवस्था होनी चाहिए. वही ट्रैकमैन के लिए भी सुविधा उपलब्ध कराई जाए लेकिन रेलवे के उच्च अधिकारी इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिसका नतीजा है कि भीषण गर्मी में भी ट्रेन के भीतर भट्टी की तरह लोको पायलट तपते हैं.