MP News: प्रदेश सरकार के खाते में आ जाएगी 5000 करोड़ के लोन की रकम, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च होगी राशि
MP News: मप्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 शुरू होने के चार महीने बाद पहली बार कर्ज लिया है. कर्ज लेने की प्रक्रिया पूरी हो गई. राज्य सरकार के आरबीआई के खाते में बुधवार को 5 हजार करोड़ रुपए आ जाएंगे.
सरकार पर 3.75 लाख करोड रुपए का कर्ज
एमपी सरकार पर 31 मार्च, 2024 की स्थिति में 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 42 हजार 500 करोड़ का कर्ज लिया था, इसमें से 17 हजार 500 करोड़ का लोन मोहन सरकार के समय और 25 हजार करोड़ रुपए का लोन तत्कालीन शिवराज सरकार के समय लिया गया था. बीते वित्त वर्ष में मप्र सरकार की कर्ज लेने की सीमा 47 हजार 560 करोड़ रुपए थी. सरकार ने मप्र विधानसभा के मानसून सत्र में 3 जुलाई को वित्तीय वर्ष 2024-25 का 3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था.
सरकार ने दो अलग-अलग कर्ज लिए हैं. कर्ज की राशि 2500-2500 करोड़ रुपए है. लोन की ब्याज दर 7.26 प्रतिशत है, जिसका भुगतान 11 साल और 21 साल में किया जाएगा. चालू वित्त वर्ष में सरकार की लोन लेने की अधिकतम सीमा 64 हजार करोड़ रुपए है. वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अमूमन पिछले वर्षों में सरकार वित्त वर्ष शुरू होने के दो- तीन महीने की अवधि में लोन लेती रही है. पिछले वित्त वर्ष में 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 26 मई, 2023 को लिया गया था. इस बार सरकार के पास पर्याप्त तरलता (लिक्विडिटी) होने के कारण अब तक कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी. अब चूंकि तरलता कम हो गई है, इसलिए सरकार ने कर्ज लिया है. आने वाले महीनों में जब भी जरूरत होगी, सरकार नियमानुसार लोन लेगी.
लाड़ली बहना योजना पर खर्च नहीं होगी राशि
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कर्ज की राशि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च की जाएगी. मुख्यमंत्री लाड़ली बहना या ऐसी अन्य किसी योजना पर राशि खर्च नहीं होगी. सरकार ने लाड़ली बहना योजना के लिए बजट में पहले से ही राशि का प्रावधान कर रखा है. यह है कर्ज लेने का फॉर्मूला कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का अधिकतम 3 प्रतिशत की सीमा तक ऋण ले सकता है. एमपी का सकल घरेलू उत्पाद करीब 15 लाख करोड़ रुपए है. इसी के अनुपात में मप्र सरकार की कर्ज लेने की सीमा निर्धारित की गई है। वित्त अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के तहत किसी भी राज्य सरकार को कर्ज लेने की सहमति देती है. केंद्र की सहमति के बिना कोई राज्य ऋण नहीं ले सकता है.