MP News: HC की लाइव स्ट्रीमिंग एडिट कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने पर रोक, हाई कोर्ट ने केंद्र, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को दिया नोटिस

MP News: अदालत में मामलों की सुनवाई के दौरान पारदर्शिता आए इस मकसद को लेकर हाईकोर्ट ने लाइव स्ट्रीमिंग की शुरुआत की थी. अब सोशल मीडिया के जरिए हाईकोर्ट की सुनवाई की क्लिपिंग का गलत इस्तेमाल हो रहा है
MP High Court

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने तत्काल प्रभाव से लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट कर अपलोड करने पर रोक लगा दी है. सोमवार यानी 4 नवंबर को एक जनहित पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

अदालत में मामलों की सुनवाई के दौरान पारदर्शिता आए इस मकसद को लेकर हाईकोर्ट ने लाइव स्ट्रीमिंग की शुरुआत की थी. अब सोशल मीडिया के जरिए हाईकोर्ट की सुनवाई की क्लिपिंग का गलत इस्तेमाल हो रहा है. जिससे हाईकोर्ट की गरिमा और मर्यादा दोनों ही भंग हो रही है. हाईकोर्ट ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सोशल मीडिया में लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट करके अपलोड किए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सूचना प्रसारण मंत्रालय, मेटा प्लेटफॉर्म्स, यूट्यूब ,एक्स समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार राज्य सरकार और सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी कर 17 दिसंबर तक जवाब मांगा है.

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जनहित याचिका पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

दमोह जिला निवासी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.विजय बजाज की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायालीन प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए कुछ नियम बनाए गए थे. इन नियमों में स्पष्ट प्रावधान है कि लाइव स्ट्रीमिंग की सभी कॉपीराइट्स हाई कोर्ट के पास हैं. इन नियमों के अंतर्गत किसी भी प्लेटफार्म पर लाइव स्ट्रीमिंग सोशल मीडिया पर मनमाना उपयोग करना प्रतिबंधित है.

इसके बावजूद भी निर्धारित नियमों का उल्लंघन जमकर किया जा रहा है. कई इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग की क्लिपिंग को एडिट करके अपलोड कर सस्ती लोकप्रियता और आर्थिक लाभ उठाया जा रहा है. हाई कोर्ट के आदेशों की रील्स, मीम और शॉर्ट स्टोरियां बनाकर अदालत, न्यायाधीश और अधिवक्ताओं का मजाक उड़ाया जा रहा है. उनके कमेंट बॉक्स पर लोग स्वतंत्रता होकर न्यायाधीशों अधिवक्ताओं और हाईकोर्ट के आदेशों पर अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं.

याचिका में मांग की गई है कि सबसे पहले तो सोशल मीडिया पर हाईकोर्ट में हो रही सुनवाईयों की लाइव स्ट्रीम पर रोक लगाई जाए. इसके साथ ही अभी तक जितने भी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जिन लोगों ने जो आर्थिक लाभ लिया है उसकी वसूली की जाए. तत्काल प्रभाव से जितनी भी क्लिपिंग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड की गई है उन्हें डिलीट करने का आदेश भी दिया जाए.

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