MP में गौवंश की दुर्दशा, पशुपालन विभाग की रिपोर्ट में खुलासा, राजमार्गों पर 20 दिन में सड़क हादसों में 93 गायों की मौत
MP News: बारिश के मौसम में प्रदेश में कितनी दुर्दशा है, इसकी पुष्टि पशुपालन विभाग के आंकड़ों से होती है. प्रदेश में करीब एक हजार किलोमीटर लंबी दूरी के नौ राजमार्गों पर 20 दिन में सड़क हादसों में 93 गाय दम तोड़ चुकी हैं. इस तरह रोजाना औसत 4 से 5 गायों की मौत हुई है. इस दरमियान इन्हीं सड़कों पर हादसों में 295 गौवंश घायल हो गए, जिन्हें नजदीक के पशु चिकित्सालय में उपचार कराकर गौशालाओं में शिफ्ट किया गया. जब एक हजार किमी लंबी सड़कों पर बेसहारा गौवंश की यह दुर्दशा है, तो पूरे प्रदेश की स्थिति का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है.
पशुपालन विभाग ने छह जिलों से गुजरने वाले राजमार्गों को कैटल फ्री करने के लिए एक जुलाई से पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इन जिलों में भोपाल, देवास, सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ शामिल हैं. इन जिलों में 1,084 किलोमीटर लंबाई के नौ राजमार्गों पर पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत राजमार्ग के टोल नाकों पर पशुपालन विभाग के अमले के साथ मिनी ट्रक व टाटा 407 गाड़ियां तैनात की गई हैं.
टोल नाकों पर हाइड्रोलिक क्रेन होंगी तैनात
सरकार ने इन राजमार्गों के टोल नाकों पर अमले के साथ हाइड्रोलिक क्रेन तैनात करने का निर्णय लिया है. पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चूंकि अभी हाइड्रोलिक क्रेन खरीदी नहीं जा सकी हैं, इसलिए मिनी ट्रक और टाटा 407 गाड़ियां नाकों पर रखी गई हैं. हाइड्रोलिक क्रेन की खरीदी की प्रक्रिया चल रही है. एक क्रेन की कीमत करीब 20 लाख रुपए है. इन क्रेनों की मदद से मृत और घायल मृत: गौवंश को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाएगा.
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दूध निकालने के बाद खुले में छोड़ देते हैं लोग
पशुपालन विभाग के पूर्व अधिकारी की केएस तोमर कहना है कि बारिश में सूखी जगह की तलाश में गौवंश के सड़कों पर आने से स्थिति बिगड़ जाती है. सड़क हादसे में गौवंश के साथ वाहन सवारों की भी मौत हो जाती है. सरकार तो समस्या के समाधान के लिए प्रयत्न कर ही रही है, लेकिन समाज की जागरुकता के बिना इस संकट से पार नहीं पाया जा सकता है. लोग दूध दुहकर गायों को खुले में छोड़ देते हैं. यह गलत तरीका है. यही समस्या की जड़ है.
फैक्ट
प्रदेश में 2 हजार से अधिक गौशालाएं
ढाई लाख गौशालाओं में गोवंश
गौशालाओं को सरकार की तरफ से 200 करोड़ का अनुदान
बेसहारा गोवंश की संख्या 9 लाख से अधिक