MP News: प्रदेश में टैक्स की सख्ती से वसूली की तैयारी, 35 लाख से अधिक मकानों और इमारतों में QR Code लगाने की तैयारी

MP News: भोपाल, इंदौर में ही बढ़ गईं 2.40 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी  नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इनको वित्तीय तौर से मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार का जोर भी 100 प्रतिशत टैक्स कलेक्शन पर है.
Property: The financial condition of municipal bodies is not good.

प्रॉपर्टी  नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है

MP News: प्रदेश के नगरों, शहरों की सभी इमारतों के मालिक अब प्रॉपर्टी टैक्स भरने से नहीं बच पाएंगे. इसके लिए मकानों, भवनों के बाहर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे. प्रत्येक में उस संपत्ति के टैक्स, बकाया आदि की पूरी जानकारी होगी. इसे संपत्ति मालिक के साथ ही नगरीय निकाय का कर्मचारी स्कैन कर टैक्स पेमेंट की स्थिति देख सकेगा. यह कोड राज्य के 35 लाख से अधिक घरों, इमारतों पर लगाए जाएंगे.

निकायों को अपने खर्च पर यह कार्य करना पड़ सकता है. नगरीय निकायों को उनके क्षेत्र में बने घर, कॉम्पलेक्स व अन्य तरह के निर्माणों से संपत्ति कर के साथ ही जलकर की वसूली का अधिकार दिया गया है. यह और इससे जुड़े अन्य उपकर निकायों की आय का प्रमुख हिस्सा हैं. टैक्स कलेक्शन से मिली राशि में से ही पार्षदों को विकास कार्यों के लिए पैसा दिया जाता है. इसके अलावा बुनियादी जरूरत के अन्य काम किए जाते हैं.

कहीं भी नहीं हो पाती पूरी वसूली प्रदेश के किसी भी निकाय में करों की 100 फीसदी वसूली नहीं हो पाती है. स्थिति यह है कि कई भवन मालिक टैक्स जमा नही करते हैं. निकायों की ओर से नोटिस थमाने, कुर्की आदि की कार्रवाई के बाद ही बकाया राशि जमा करते हैं. यह एक्शन निकाय सभी बकायादारों के खिलाफ नहीं ले पाते हैं.

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भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में कम हो रही वसूली

भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में टैक्स की वसूली कम हो रही है. नतीजा, टारगेट के मुकाबले 50 से 80 प्रतिशत टैक्स ही वसूल हो पाता है. भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में यही स्थिति है. राजधानी में पांच लाख से अधिक संपत्तियां हैं. वहीं इंदौर में यह आंकड़ा सात लाख के पार है. भोपाल की बात करें तो पुराने शहर सहित कुछ अन्य इलाकों में वसूली में काफी दिक्कत होती है. निगम कर्मचारियों को विरोध का सामना करना पड़ता है. कई मामले थाने तक पहुंच जाते हैं.

विभाग के मंत्री कैलाश भी परेशान जलकर वसूली का हाल और खराब है. राजधानी में सालाना जलप्रदाय पर जितना खर्च होता है, वो जलकर से नही निकल पाता है. नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी सभी सभी क्षेत्रों से वसूली न होने पर नाराजगी जता चुके हैं.

पता चलेगा बकाया प्रॉपटी टैक्स, जीएसआई का सर्वे फिर से कराने की तैयारी

भोपाल, इंदौर में ही बढ़ गईं 2.40 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी  नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इनको वित्तीय तौर से मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार का जोर भी 100 प्रतिशत टैक्स कलेक्शन पर है. इसके लिए जियोग्राफिकल इंर्फोमेशन सिस्टम (जीआईएस) की मदद से सर्वे कर सभी मकानों, दुकानों, भवनों को प्रॉपर्टी टैक्स की जद में लाया जा रहा है. भोपाल, इंदौर, सागर और मुरैना समेत 212 निकायों में यह पूरा हो चुका है. जीआईएस सर्वे के पहले भोपाल में 4.09 लाख संपत्तियां दर्ज थी। इनसे संपत्ति कर के तौर पर 126 करोड़ रुपए की डिमांड निकलती थी. सर्वे के बाद प्रॉपर्टी की संख्या बढ़ कर 5.11 लाख पहुंच गई ऐसे में नगर निगम ने 200 करोड़ रुपए वसूलने का लक्ष्य रखा था. सर्वे से 74 करोड़ रुपए मांग बढ़ गई. वहीं इंदौर में संपत्तियां 5.8 लाख से बढ़ कर 7.23 लाख हो गई. इस आधार पर डिमांड भी 251 करोड़ की जगह 289 करोड़ हो गई.

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