MP के चीतों की जानकारी देना राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़, वन विभाग को दूसरे देशों से संबंध होने खराब होने का खतरा

MP News: आरटीआई के जवाब में अजीब तर्क देने पर अजय दुबे का कहना है कि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ शुभ रंजन सेन ने अधिकारी को दबाव डालकर ऐसी जानकारी देने के लिए कहा है.
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फाइल फोटो

MP News: मध्य प्रदेश के वन विभाग में चीतों को लेकर एक अनोखा जवाब दिया है. वन विभाग में आरटीआई एक्टिविस्ट के सवाल पर कहा है की चीतों की जानकारी नहीं दी जा सकती है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. इसके अलावा चीतों की जानकारी सामने आने के बाद विदेशी देशों से रिश्ते भी खराब हो सकते हैं. ऐसे में सवाल है कि भला चीतों की जानकारी सामने आने के बाद विदेशी देशों की कैसे रिश्ते खराब हो सकते हैं. वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय कैसे चीते बन गए हैं. यह पूरे वन विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है. क्योंकि विधानसभा से लेकर कई बार सरकार और वन विभाग चीतों पर जानकारी दे चुका है लेकिन आईटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे की जानकारी पर राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी देशों से संबंध खबर खराब होने का हवाला दिया जा रहा है.

दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट और वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने वन विभाग से जानकारी मांगी थी. अजय दुबे ने वन विभाग को सूचना के अधिकार के तहत पूछा था कि कूनो में चीतों की सुरक्षा के लिए कितना खर्च किया जा रहा है. कूनो में कितने चीतें हैं. दूसरे देश से कितने चीते लाए गए और उनकी हालत क्या है. उनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं. क्योंकि पिछले कई महीनो में चीतों की मौत हुई है. इसका कारण और रिपोर्ट भी आरटीआई के जरिए मांगी गई. वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट और आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे को वन विभाग की ओर से यह जानकारी दी गई कि आरटीआई एक्ट 2005 में इस बात का जिक्र है कि जानकारी देने पर दूसरे देशों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं.

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दुबे का आरोप – जंगल में मंगल और गड़बड़ी छुपाने की कोशिश

आरटीआई के जवाब में अजीब तर्क देने पर अजय दुबे का कहना है कि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ शुभ रंजन सेन ने अधिकारी को दबाव डालकर ऐसी जानकारी देने के लिए कहा है. वन विभाग में जंगल में मंगल चल रहा है और गड़बड़ियों को छुपाने की इस तरीके से कोशिश की जा रही है. पिछले दिनों बांधव टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत के मामले में भी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. कूनो नेशनल पार्क और गांधी सागर अभ्यारण को लेकर जानकारी मांगने पर वन विभाग की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी देशों से संबंध खराब होने की बात कही जा रही है. इस पूरे मामले को लेकर आयोग और कोर्ट की तरफ भी दुबे रुख करेंगे.

मध्य प्रदेश में अब तक कितने चीतों की हुई मौत

18 फरवरी साल 2024 को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से 12 चीते ले गए उसके बाद लगातार पिछले 1 साल के भीतर 11 चीतों की मौत हो गई है. जिसमें वयस्क और शावक भी शामिल है. अब कूनो नेशनल पार्क में 10 वयस्क और 10 शावक है. लगातार चीतों की मौत को लेकर एन टी सी ए भी मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिख चुका है. कभी इन्फेक्शन और कभी किसी अन्य वजह से चीतों की मौत हुई है.

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