MP News: खुली जेल में बंदियों के जीवन में आ रहा बदलाव, सलाखों के अंदर परिवार के साथ रहते हैं बंदी, कोई कर रहा काम तो कोई ले रहा शिक्षा
Satna News: प्रदेश की खुली जेलों में से एक जेल सतना जेल है. यहां होने वाले नए नवाचार की चर्चा दूर-दूर तक होती है. जहां कैदियों के द्वारा की गई गलती का पश्चाताप तो होता ही है साथ में सुधार की ललक भी मन में पैदा होती है. सतना खुली जेल में कैदियों को भोज यूनिवर्सिटी और इग्नू यूनिवर्सिटी से डिग्रियां दिलाई जाती है, और कई ऐसे कैदी भी हैं जिन्होंने एक से ज्यादा डिग्रियां जेल में रहते हुए प्राप्त की है। खुली जेल में रहने वाले कैदी सुबह अपने काम पर निकल जाते हैं और शाम ढलने के साथ जेल में फिर से वापस आ जाते हैं,साथ ही जेल के अंदर भी सब्जियां मूंग की खेती भी करते है यहां कैदी खुली जेल में अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं इनके लिए क्वार्टर निर्धारित किए गए हैं जहां यह अपने परिवार के साथ रहते हैं और काम भी करते हैं.
आचरण और अन्य मानको के आधार पर होता है निर्धारण
सबसे पहले आपको बताते हैं की किस आधार पर कैदियों को मुख्य जेल से खुली जेल में भेजा जाता है जेल अधीक्षक लीना कोष्टा बताती है कि जिन कैदियों ने 10 साल की सजा पूरी कर ली हो और माफी सहित 14 वर्ष की सजा ऐसे कैदियों का नाम परिवार के साथ चर्चा करने के बाद डीजी जेल को भेजा जाता है वहां से यह निर्धारित होता है की कैदी का आचरण कैसा है जेल में इतने सालों तक रहते हुए उसने क्या कोई काम सीखा है इन सभी मापदंडों पर कोई कैदी बेहतर होता है तो उसे मुख्य जेल से खुली जेल में भेज दिया जाता है जहां वह अपने पूरे परिवार के साथ निवास करता है.
कई जेल से सतना खुली जेल में आते है कैदी
पन्ना जेल से सतना जेल की खुली जेल में आए कैदी हनीश खान लंबे समय से जेल में बंद है. जो की गई गलती का पश्चाताप करता है और साथ में उसमे काम करने की ललक भी है. छूटने के बाद वह अपने जीवन को बदलना चाहता हैं. इसलिए घर से ट्रैक्टर जेल में लेकर आए ट्रैक्टर का उपयोग भाड़ा ढोने में करते हैं, साथ ही जेल के अंदर होने वाली खेती में भी ट्रैक्टर का उपयोग किया जाता है. उनकी बेगम सबीना खान ने विस्तार न्यूज़ को बताया कि उनके पति ट्रैक्टर चलाकर परिवार का गुजर बसर करते हैं जो पैसे मिलते हैं. परिवार में उपयोग किए जाते और जो पैसे बचते हैं वह जेल के बाहर अपनी बेटियों को भेज देते हैं.
जेल में रहकर डबल हासिल की MA की डिग्री
केंद्रीय कारागार सतना में 14 वर्ष से आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदी योगेंद्र सिंह ने जेल में रहकर डबल MA की डिग्री हासिल की है. पढ़ने का जुनून ऐसा की विपरीत परिस्थितियों में भी योगेंद्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए में इग्नू से पत्राचार के माध्यम से पहले हिंदी साहित्य से MA किया. फिर इतिहास से MA किया. साथ ही इसी वर्ष रामचरितमानस से सामाजिक विकास विषय पर डिप्लोमा भी हासिल किया है, जेल मैनुअल के अनुसार अच्छे आचरण के कारण योगेंद्र और उसके पिता लक्ष्मण सिंह विगत 1 वर्ष से खुली जेल कॉलोनी में निवास कर रहे हैं. योगेंद्र कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे जिसे घर का खर्च नही चलता था. तो अब योगेंद्र सतना शहर के एक प्लाईवुड की दुकान में मार्केटिंग का काम भी करते हैं जिस प्लाईवुड की दुकान पर मार्केटिंग का काम करते हैं. उस दुकान के मालिक आलोक सिंह का कहना है कि योगेंद्र बेहद ईमानदार है और बड़े अच्छे से अपना काम करते हैं इसके कारण ग्राहक बहुत खुश रहते हैं और नियमित जेल से टाइम पर आ जाते हैं और टाइम से उनको छोड़ दिया जाता है. उन्हें इस बात से कोई समस्या नहीं कि वह जेल से नियमित तौर पर दुकान काम करने के लिए आते हैं. वहीं योगेंद्र रिहाई के बाद अपने आसपास के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देना चाहते हैं साथ ही अंग्रेजी विषय से पोस्ट ग्रेजुएट भी करना चाहते हैं
25 कैदी अपने परिवार के साथ रहते है
जेल अधीक्षक लीना कोष्टा बताती है की 25 कैदी ऐसे हैं जो अपने परिवार के साथ खुली जेल में रहते हैं खुली जेल में बंदी अपनी जिम्मेदारी का एहसास भी करते हैं उससे उन्हें जेल में रहते हुए भी अपनी जिम्मेदारियां का एहसास होता है और उनका मन भी परिवर्तित होता है साथ ही कैदियों के मन में अच्छे भाव आते हैं मन में बदलाव होने के कारण आगे अपराध न करने की बड़ी प्रेरणा मिलती है। सतना सेंट्रल जेल में भोज और इग्नू से 6 बंदी ऐसे हैं जो शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं इससे उनके दिमाग का काफी विकास भी हो रहा है