MP Politics: सिंधिया राज्यसभा और शिवराज विधानसभा से देंगे इस्तीफा, उपचुनाव के लिए सक्रिय हुए दावेदार
MP Politics: लोकसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया के विजयी होने के बाद अब यह दोनों नेता विधानसभा एवं राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे. इस तरह प्रदेश से राज्यसभा एवं विधानसभा सीट रिक्त होगी. इन दोनों नेता को मोदी सरकार में केबिनेट मंत्री बनाया गया है. इन नेताओं के इस्तीफे के पहले ही भाजपा नेताओं ने अपनी दावेदारी शुरू कर दी है. सबसे ज्यादा दावेदार बुधनी में नजर आ रहे हैं.
सिंधिया द्वारा साल 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया था. 22 जून 2020 को सिंधिया राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उनका राज्यसभा का कार्यकाल 21 जून 2026 तक था लेकिन हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में उनके गुना लोकसभा सीट से चुने जाने के बाद अब वह राज्यसभा से इस्तीफा देंगे. ऐसे में मध्यप्रदेश से एक राज्यसभा सीट रिक्त होगी.
वहीं शिवराज सिंह चौहान के विदिशा लोकसभा सीट से चुनें जाने के बाद अब वह बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा देंगे. वह विगत वर्ष नवंबर माह में हुए विधानसभा चुनाव में बुधनी सीट से विजयी हुए थे. माना जा रहा है कि चौहान बुधवार को भोपाल लौटने के बाद विधायक पद से इस्तीफा देंगे. नियमानुसार किसी दूसरे सदन के लिए चुने जाने पर 14 दिन के भीतर इस्तीफा देना होता है. इन दोनों ही सीटों पर उपचुनाव होंगे. सिंधिया की जगह पार्टी जिस नेता को राज्यसभा में भेजेगी वह दो साल तक ही कुछ सांसद रह पाएगा. राज्यसभा चुनाव के लिए प्रदेश संगठन के नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है. इस संबंध में वे संगठन के शीर्ष नेताओं को है. इस संबंध में वे संगठन के शीर्ष नेताओं को अपना बायोडाटा भी भेज चुके हैं.
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बीजेपी ज्वाइन करने के बाद इस्तीफा देने में आगे शाह, रामनिवास और निर्मल को शिवराज का इंतजार
रावत और सप्रे की सीटों पर भी चुनाव जल्द कांग्रेस के दो विधायकों द्वारा भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद अब उनका अपने पद से इस्तीफा तय माना जा रहा है. इसमें विजयपुर से कांग्रेस विधायक राम निवास रावत एवं सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से विधायक निर्मला सप्रे प्रमुख हैं. इन दोनों विधायकों ने अभी तक कांग्रेस और विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है. जबकि छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने कमलेश शाह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके चलते यह सीट रिक्त घोषित की गई थी अब वहां 10 जुलाई को मतदान होना है. माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा विधायकी से इस्तीफा देने के साथ ही रामनिवास रावत के विजयपुर और निर्मला सप्रे द्वारा बीना विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया जा सकता है और इन तीनों सीट पर एक साथ उपचुनाव हो सकता है.
बुधनी में उभरे आधा दर्जन दावेदार
बुधनी विधानसभा से सबसे बड़ी दावेदारी तो केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय सिंह की है. वे 2013 से क्षेत्र में सक्रिय हैं। 2013 में शिवराज सिंह ने विदिशा और बुधनी दोनों जगहों से विधानसभा चुनाव लड़ा था. ऐसा इसलिए कि उस समय विदिशा में दावेदार एक से अधिक थे और किसी नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी तब तत्कालीन सांसद सुषमा स्वराज के आग्रह पर वे बुधनी के साथ विदिशा से भी मैदान में थे. दोनों जगहों से उन्होंने जीत दर्ज की थी. इस समय चुनाव प्रचार की कमान उनके पुत्र बुधनी में कार्तिकेय ने संभाली थी. उसके बाद 2019 और 2023 में भी वे बुधनी में सक्रिय रहे. पिछले चुनाव में तो शिवराज केवल नामांकन भरने ही बुधनी गए थे.
अगर इसमें परिवारवाद को पेंच आता है तो पार्टी किसी दूसरे नाम पर विचार कर सकती है. इसमें सबसे बड़ा नाम रमाकांत भार्गव का है. शिवराज के करीबी रमाकांत को टिकट इस बार विदिशा से काटा गया है. वे शिवराज की भी पसंद माने जाते हैं। रमाकांत के अलावा गुरुप्रसाद शर्मा, सलकनपुर मंदिर ट्रस्ट के महेश उपाध्याय, रवीश चौहान के नाम भी दावेदारों में शामिल हैं. तय है कि टिकट उसे ही मिलेगा जिसके नाम पर शिवराज सहमत होंगे. हालांकि शिवराज कह चुके हैं कि बुधनी पर पार्टी को फैसला लेना है.
भाजपा में जल्द शुरू होगी संगठन चुनाव की प्रक्रिया
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को शामिल किए जाने के बाद यह तय हो गया है कि भाजपा संगठन में चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी. नड्डा का कार्यकाल एक साल पहले पूरा हो गया था. उस समय चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर विचार हुआ था पर लोकसभा चुनावों को देखते हुए इन्हें एक साल के लिए टाल दिया गया. नड्डा के मंत्री बनने के बाद उनका इस्तीफा तय है. भाजपा सूत्रों की माने तो इसी हफ्ते होने वाली संगठन नेताओं की बैठक में चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर विचार होगा और इसके लिए संगठन अपने केन्द्रीय चुनाव अधिकारी की नियुक्ति करेगा। चुनाव सबसे पहले बूथ, फिर मंडल, जिला के बाद प्रदेश और उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन होगा. हालांकि इससे पहले संगठन कुछ समय के लिए किसी अन्य नेता को भी मनोनीत कर सकता है.