MP News: जल संसाधन विभाग में 1300 करोड़ का भ्रष्टाचार! सरकारी खजाने की बजाय पैसे अपने खातों में ट्रांसफर करा रहे अफसर

MP News: साल 2024 में जल संसाधन विभाग के अफसर का बड़ा कारनामा निकाल के सामने आया था. मध्य प्रदेश में ई-टेंडरिंग मामले में शामिल ब्लैकलिस्टेड कंपनी को बिना काम किया ही 5000 करोड़ का भुगतान कर दिया. इस मामले में तत्कालीन प्रमुख अभियंता और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी की भूमिका निकाल कर सामने आई थी
Corruption worth Rs 1,300 crore in the MP Water Resources Department, Rs 5,000 crore sent to a blacklisted company

सांकेतिक तस्वीर

MP News: मध्य प्रदेश में जल संसाधन विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट तेज हो गई है. जल संसाधन विभाग को किसान और सिंचाई से जुड़ी हुई परियोजनाओं में पैसा खर्च करना था लेकिन अफसर ने खुद के बैंक अकाउंट में 1300 करोड रुपए जमा कर लिए. इस बात का खुलासा अकाउंटेंट जनरल ने अपनी रिपोर्ट में किया है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव प्रमुख अभियंता ने सभी मुख्य अभियंता को अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट के आधार पर जानकारी देने के लिए आदेश जारी कर दिया है.

प्रमुख अभियंता विनोद कुमार देवड़ा ने अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पूछा है कि पब्लिक का पैसा योजनाओं में खर्च होना था लेकिन यह पैसा बैंकों में क्यों जमा हुआ है. सूत्र बताते हैं कि अगर सरकारी खजाने में यह रकम ट्रांसफर होती तो अफसर को बैंक में जमा उनके खातों का ब्याज नहीं मिल पाता और यही कारण है कि विभाग के खाते में पैसा ना जमा करते हुए अफसर ने खुद के नोडल अकाउंट में पैसा जमा कर लिया.

इस मामले की गड़बड़ी को उजागर करते हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की आशंका अकाउंटेंट जनरल ने जताई है. दरअसल, अकाउंटेंट जनरल मध्य प्रदेश के सभी विभागों के लेनदेन और योजनाओं की समीक्षा करता है और इसी मामले की समीक्षा करते हुए इतने बड़े गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है. प्रमुख अभियंता ने बाकायदा अधिकारियों को आदेश जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है और पूछा है कि यह रकम सरकारी खजाने में जमा क्यों नहीं कराई गई है.

अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट में यह हुआ बड़ा खुलासा

जो पैसा गैर-सरकारी एजेंसियों से काम के लिए आया था, उसे नियम के हिसाब से सरकारी खजाने में जमा होना चाहिए था, लेकिन पब्लिक वर्क्स डिवीजन के अफसरों ने वो पैसा अपने बैंक खातों में ही रखा लिया. सरकार के खाते में नहीं डाला, इस वजह से ये पैसा राज्य की असली कैश बैलेंस में नहीं दिख रहा. 31 मार्च 2023 तक 1,311.70 करोड़ अफसरों के बैंक खातों में पड़ा हुआ था. सरकार ने 2015 में साफ आदेश दिए थे कि पैसा ट्रेज़री में ही जमा किया जाए, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ. नियम तोड़कर 1,300 करोड़ से ज़्यादा का पैसा सरकार की बजाय अफसरों के बैंक खातों में पड़ा है.

ऑडिट के बाद होगा घोटाले का खुलासा

अभी हाल में अकाउंटेंट जनरल ने अपनी रिपोर्ट जल संसाधन विभाग को भेजी है. जल संसाधन विभाग को रिपोर्ट के आधार पर अफसर के खातों की जांच करनी है. अगर अफसर के खाते में पैसा जमा पाया गया तो उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई हो सकती है. साथ ही जो ब्याज बैंकों से वसूला गया उसको भी विभाग को जमा करना होगा. यदि उसे फंड को दूसरी योजना में खर्च किया गया है तो इसका भी हिसाब किताब देना होगा. साथ ही आखिर उन्होंने साल 2015 के नियम के मुताबिक सरकारी ट्रेजरी में पैसा जमा क्यों नहीं किया है. इसका भी जवाब देना होगा क्योंकि इस मामले को लेकर एजी ने अपनी 4 साल की रिपोर्ट भी जल संसाधन विभाग को दी है और बताया है कि कैसे सरकार के खाते में अफसर ने सेंध लगाने की कोशिश की है.

ये भी पढ़ें: MP News: बीजेपी नेताओं की AI फोटो का कांग्रेस कनेक्शन! मामले में FIR दर्ज, दो आरोपी गिरफ्तार

ब्लैकलिस्टेड कंपनी को हुआ 5000 करोड़ का भुगतान

साल 2024 में जल संसाधन विभाग के अफसर का बड़ा कारनामा निकाल के सामने आया था. मध्य प्रदेश में ई-टेंडरिंग मामले में शामिल ब्लैकलिस्टेड कंपनी को बिना काम किया ही 5000 करोड़ का भुगतान कर दिया. इस मामले में तत्कालीन प्रमुख अभियंता और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी की भूमिका निकाल कर सामने आई थी. मध्य प्रदेश में चर्चित रहे ई-टेंडिंग घोटाले में कंपनी ब्लैक लिस्टेड कर दी गई. फिर भी दूसरी कंपनी के जरिए मध्य प्रदेश में जल संसाधन विभाग का कामकाज कंपनी ले लिया. अफसर ने एक नया कारनामा किया. कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए कंपनी को बिना काम किए करोड़ों रुपए का एडवांस पेमेंट कर दिया. उस वक्त भी जल संसाधन विभाग के अधिकारी सवालों के घेरे में आए थे लेकिन बाद में उन्हें राजनीतिक दबाव में क्लीनचिट मिल गई थी.

ज़रूर पढ़ें