MP: पॉक्सो मामले में 60 दिनों में भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर पा रही पुलिस, डीजी ने लिखा पत्र, होगी कार्रवाई

MP News: IPC के तहत आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान था, लेकिन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में इसे संशोधित किया गया है. पुलिस को एफआईआर दर्ज होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है
Symbolic picture

प्रतीकात्मक तस्वीर

MP News: अभी तक प्रदेश में ऐसा कोई भी जिला नहीं हैं, जहां पर एफआईआर के 60 दिन बाद पॉक्सो अधिनियम के तहत चालान पेश किया गया हो. जिला पुलिस बल पॉक्सो अधिनियम के मामलों में निर्धारित समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं करना, अब जिला और थाने के पुलिस अफसरों को भारी पड़ सकता है. पुलिस मुख्यालय इसे लेकर अब गंभीर हो गया है.

60 दिनों के भीतर दाखिल करनी होती है चार्जशीट

IPC के तहत आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान था, लेकिन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में इसे संशोधित किया गया है. पुलिस को एफआईआर दर्ज होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मुद्दे से व्यापक रूप से निपटने के लिए 2012 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम पारित किया गया था. पुलिस मुख्यालय की महिला शाखा को मामलों से निपटने में पत्र दाखिल नहीं की जाती है, तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

गाइडलाइन का पुलिस नहीं कर रही है खुद पालन

पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज सभी मामलों की जिलों से लेकर पुलिस मुख्यालय तक अब लगातार मॉनिटरिंग हो रही है. जिसमें चौकाने वाली बात सामने आई है. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत कई जिले एफआईआर दर्ज होने के 60 दिन बाद निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं कर रहे हैं. प्रदेश में ऐसा कोई भी जिला नहीं हैं, जहां पर एफआईआर के 60 दिन बाद पॉक्सो अधिनियम के तहत चालान पेश किया गया हो.

ये भी पढ़ें: MP: गुजरात दौरे पर साथ गईं पत्नी को लाना भूल गए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान! याद आया तो लौटा दिया 22 गाड़ियों का काफिला

पुलिस के खिलाफ भी होगी कार्रवाई

कुछ जिले समय सीमा में 80 प्रतिशत मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर रहे हैं जबकि कुछ जिले 65 प्रतिशत तक आरोप-पत्र दाखिल नहीं कर पा रहे हैं. महिला सुरक्षा शाखा के स्पेशल डीजी अनिल कुमार ने जिलों को समय सीमा के भीतर आरोप-पत्र दाखिल करने का निर्देश दिए हैं. इस निर्देश में उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि यदि वे समय पर आरोप-पत्र दाखिल नहीं करते हैं, तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

ज़रूर पढ़ें