Jabalpur: मिट्टी के बर्तन बनाने वाला न्यक्लियर प्रोग्राम में साईंटिस्ट बनेगा! कड़ी मेहनत के बाद भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में हुआ सिलेक्शन
अजय चक्रवर्ती का सिलेक्शन भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में हुआ है.
Jabalpur News: मिट्टी के घड़े बनाने वाले हाथ अब देश के लिए बड़ी-बड़ी रिसर्च करेंगे. जबलपुर में कल तक जो युवक मिट्टी के बर्तन बनाने में परिवार का हाथ बंटाया करता था, अब वो देश के न्यूक्लियर प्रोग्राम्स में बतौर साईंटिस्ट शामिल होने जा रहा है. ये कहानी है जबलपुर के अजय चक्रवर्ती की जिसने अपनी अथक मेहनत और पढ़ाई के जज़्बे से ये मुकाम हासिल कर लिया है. जबलपुर के त्रिपुरी चौक इलाके में रहने वाले 23 साल के अजय चक्रवर्ती का सिलेक्शन ना केवल भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर बल्कि भारतीय मानक ब्यूरो में बतौर साईंटिस्ट हुआ है.
परिवार मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचता है
अजय का परिवार मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचने का काम करता है जिसमें अजय भी हाथ बंटाता था और साथ में मन लगाकर पढ़ाई भी करता था. अपनी लगन के बूते अजय ने पहले जबलपुर के साइंस कॉलेज से बीएससी की, फिर आईआईटी से एमएससी की फिर गेट परीक्षा पास की है. इसके बाद अजय के पास से भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर और भारतीय मानक ब्यूरो से इंटरव्यू के लिए कॉल आया. अजय ने दोनों संस्थाओं के इंटरव्यू पास कर लिए. जिसके बाद उसे बार्क यानि भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर से ऑफर लेटर भी आ चुका है. जिसमें उसकी पहली तन्ख्वाह की करीब 75 हजार रुपए महीना होगी.
युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना अजय
मिट्टी के बर्तन बनाने वाले परिवार से निकला ये साईंटिस्ट अब युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रहा है और परिवार की खुशी का आज कोई ठिकाना नहीं है. अजय के एक भाई और बहन भी हैं. बहन ग्रामीण बैंक में मैंनेजर है. अजय के माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं है. अजय की माता-पिता अभी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनका बेटा आखिरकार बना क्या है, लेकिन उनके चेहरे की खुशी यह बताती है कि उन्हें अपने बेटे की उपलब्धि पर बेहद गर्व है. अजय के पिता कहते हैं की बहुत ही कठिन परिस्थितियों में उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया है लेकिन उनकी मेहनत आज रंग लाई है.
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