MP में 27% OBC रिजर्वेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

MP News: मध्य प्रदेश में 27% OBC रिजर्वेशन के लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
supreme court

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

MP News: मध्य प्रदेश में OBC वर्ग के लिए 27% रिजर्वेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सक्त रवैया अपनाया है. 25 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई है. प्रदेश में नौकरी में OBC वर्ग के लिए 27% आरक्षण लागू नहीं किए जाने पर SC ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. अब इस मामले में 4 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.

मध्य प्रदेश में साल 2019 में OBC वर्ग के लिए 27% आरक्षण का कानून पारित हुआ था, लेकिन इसे सरकारी नौकरियों में अब तक लागू नहीं किया गया. यह मामला जबलपुर हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. 25 जून 2025 को सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई.

राज्य सरकार से मांगा जवाब

25 जून को जस्टिस केबी विश्वनाथन और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की खंडपीठ में कोर्ट क्रमांक 11 में सीरियल नंबर 29 पर यह मामला सुना गया. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने सरकार के रवैये को ‘संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ’ बताते हुए विरोध दर्ज किया. लंबी बहस के बाद कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर 4 जुलाई 2025 तक जवाब मांगा है.

सरकार लागू नहीं कर रही विधानसभा का कानून

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि 2019 में कानून पारित होने के बावजूद OBC उम्मीदवारों को 27% आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा. सरकार 19 मार्च 2019 के हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का हवाला देकर इसे लागू नहीं कर रही.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: इंदिरा साहनी केस क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से इंदिरा साहनी केस के बारे में सवाल किया, जिसमें आरक्षण की सीमा 50% तय की गई है. अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 51% है, लेकिन सरकारी नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी केवल 13.66% है. इसलिए 27% आरक्षण का कानून बनाया गया, जिस पर कोई रोक नहीं है. फिर भी सरकार ने एक नोटिफिकेशन के आधार पर इसे रोक दिया. पिछले चार-पांच साल से 13% आरक्षण का लाभ रुका हुआ है.

ये भी पढ़ें- इमरजेंसी के 50 साल: जब इंदिरा गांधी ने ‘राजमाता’ विजयराजे सिंधिया को भेजा था तिहाड़ जेल, जानें पूरी कहानी

इंदिरा साहनी केस और 2010 का फैसला

इंदिरा साहनी केस में 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद आरक्षण की सीमा 50% तय की थी. हालांकि, 2010 में कोर्ट ने वैज्ञानिक और ठोस कारणों के आधार पर इसे बढ़ाने की छूट दी थी. बिहार में 65% आरक्षण को जातिगत जनगणना के आधार पर लागू किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया.

भर्ती प्रक्रियाएं अटकीं

याचिका (WP(C) 606/2025) में बताया गया कि मध्य प्रदेश में PSC और अन्य विभागीय भर्तियां वर्षों से रुकी हैं. हाई कोर्ट ने OBC आरक्षण से जुड़े मामलों को सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने का हवाला देकर सुनने से इनकार किया है. इससे हजारों उम्मीदवार रोजगार से वंचित हैं. याचिकाकर्ताओं ने इसे संवैधानिक संकट करार दिया.

87-13% फॉर्मूला और विवाद

सितंबर 2022 से मध्य प्रदेश में 87-13% फॉर्मूला लागू है, जिसमें PSC और ESB की परीक्षाओं में केवल 87% रिजल्ट घोषित हो रहे हैं. 13% पद OBC और अनारक्षित वर्ग के लिए रिजर्व हैं, जिससे हजारों पद और लाखों उम्मीदवार अटके हैं. OBC वर्ग 13% पद अपने लिए मांग रहा है, जबकि अनारक्षित वर्ग का कहना है कि इंदिरा साहनी केस के तहत 50% से अधिक आरक्षण संभव नहीं.

ये भी पढ़ें- Bhopal: हमीदिया कॉलेज में लाउडस्पीकर से अजान पर कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग का बयान, बोले- SC की गाइडलाइन का पालन हो

अगली सुनवाई पर नजरें

सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद OBC वर्ग और नौकरी के इच्छुक युवाओं की निगाहें 4 जुलाई 2025 की सुनवाई पर टिकी हैं. इस सुनवाई में यह तय होगा कि क्या सरकार को 27% OBC आरक्षण लागू करने का आदेश मिलेगा या मामला और जटिल होगा.

ज़रूर पढ़ें