MP: स्तन कैंसर के इलाज में बायोप्सी का खर्च सिर्फ 100 रुपये होगा, जबलपुर NSCB मेडिकल कॉलेज में लो कॉस्ट तकनीक इजाद की
सांकेतिक तस्वीर
Jabalpur News: दुनिया भर में कैंसर के इलाज और जांच के लिए रिसर्च चल रहे हैं. कैंसर के इलाज का सस्ता और सुलभ हो सके इसके लिए प्रयोग चल रहे हैं. जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम ने एक ऐसी तकनीक इजाद की है, जिससे न केवल स्तन कैंसर पीड़ित मरीजों की जांच आसान बल्कि बेहद सस्ती भी हो गई है.
उपकरण पर 100 रुपये से भी कम खर्च होगा
जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे बायोप्सी में इस्तेमाल होने वाले उपकरण का खर्च 100 रुपए से भी कम हो गया है. खास बात यह है कि इसे जबलपुर में विकसित किया गया है. इस तकनीक का इस्तेमाल अफ्रीकी देश नाइजीरिया में भी हो रहा है. नाइजीरिया में इस टेक्नाेलॉजी का उपयोग स्तन कैंसर के ट्रीटमेंट में होने भी लगा है.
2 सिरिंज को जोड़कर नई गन तैयार की
बायोप्सी में लगने वाली गन की जगह चिकित्सकों ने दो सिरिंज को जोड़कर नए तरह की गन तैयार की है. जिससे सैंपलिंग का खर्च बेहद कम हो गया है. लो कॉस्ट बायोप्सी तकनीक ईजाद करने वाले सर्जन डॉ. संजय कुमार यादव का रिसर्च पेपर वर्ल्ड जर्नल ऑफ सर्जरी में पब्लिश हुआ था. जिसके बाद नाइजीरिया के चिकित्सक डॉ. अकिनोला ओडेडेई ने इस रिसर्च के बारे में जानकारी हासिल की. बाद में डॉ. संजय से संपर्क किया. तकनीक को समझकर उन्होंने अपने अस्पताल में स्तन कैंसर से पीड़ित 25 महिलाओं की बायोप्सी की है.
पहले लगते थे 3-4 हजार रुपये
स्तन कैंसर पीड़ित मरीजों की जांच के लिए 3 से 4 हजार रुपए कॉस्ट की बायोप्सी गन का प्रयोग होता है. यह एक ही बार प्रयोग की जा सकती है. सैंपल के बाद जांच में भी अलग खर्च आता है. कुल मिलाकर एक जांच में कम से कम 5 हजार का खर्च मरीज को आता है. लेकिन नई तकनीक में केवल 2 सिरिंज को जोड़कर एक उपकरण बनाया गया है. यह बायोप्सी गन की तरह सैंपल लेने में सक्षम है. सिरिंज गन की तुलना में कई गुना सस्ता विकल्प है. जो आसानी से मिल जाता है.