MP News: जल संसाधन विभाग में भारी गड़बड़ी, कैग की आपत्ति के बाद भी नहीं हुआ ऑडिट, अब ACS की कमेटी करेगी जांच
सीएजी रिपोर्ट
MP News: महानियंत्रक लेखा परीक्षक सरकारी महकमों में ऑडिट आपत्ति निकलते हैं, लेकिन जल संसाधन विभाग में निचले स्तर पर इन आपत्तियों का निराकरण नहीं हो पा रहा है. अब जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा ने खुद उनकी पुर्नविलोकन और त्वरित निराकरण करने की जिम्मेदारी उठाई है. जल संसाधन विभाग में ऑडिट में निकाली गई कमियों पर जल संसाधन विभाग का निचला अमला समय पर जवाब नहीं देता है.
विभागीय ऑडिट समिति का गठन किया गया
एजी की सिफारिश पर अमल नहीं हो रहा है. गलतियां सुधारी नहीं जा रही है. इसके चलते अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा ने आडिट आपत्तियों को समय पर देखने और त्वरित निराकरण करने के लिए एक विभागीय ऑडिट समिति का गठन किया है. वे स्वयं में समिति की अध्यक्ष रहेंगे और उनके साथ जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता, आयुक्त कमांड क्षेत्र विकास जल संसाधन विभाग, अपर सचिव उपसचिव वित्त को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.
क्या है जल संसाधन विभाग का काम?
महालेखाकार कार्यालय ग्वालियर के वरिष्ठ उप महालेखाकार, उप महालेखाकार को इसमें सदस्य सचिव बनाया गया है. जल संसाधन विभाग का मूल काम किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध सुनिश्चित करना है. यदि भ्रष्टाचार अनियमिताओं पर रोक लगेगी. काम समय पर होंगे तो किसानों को पर्याप्त सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और प्रदेश में किसानों का फायदा होगा जिससे उत्पादन क्षमता भी बढ़ेगी. इसके साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी.
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कमेटी करेगी जांच
यह समिति नियंत्रक महालेखाकार परीक्षा की ओर से आने वाली सभी आडिट आपत्तियों को देखेगी. उनका पुनर्विलोकन करेगी और इन आपत्तियों का निराकरण भी करेगी. साथ ही उनका जवाब भी महानियंत्रक लेखा परीक्षक को समय पर भेजेगा. इससे विभाग में महानियंत्रक लेखा परीक्षा में ऑडिट में जो कमियां निकाली है. उनका समय पर निराकरण हो सकेगा और विभाग में जहां कमियां है वह दूर होगी. नियमितताओं पर अंकुश लगेगा. भ्रष्टाचार को पनपना से रोका जा सकेगा काम भी गुणवत्ता पूर्ण होगा. मेहनत और ईमानदारी से जो लोग काम कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा और कामचोर लापरवाह तथा भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर अंकुश लगेगा.