प्रयागराज जा रहे जाम में भूखे-प्यासे फंसे लोगों के लिए ‘देवदूत’ बने स्थानीय, खाने-पीने के साथ दवाइयां भी करा रहे मुहैया
प्रतापगढ़ में श्रद्धालुओं की मदद
Maha Kumbh: मौनी अमावस्या के दिन संगम क्षेत्र में मची भगदड़ के बाद प्रयागराज में 4 फ़रवरी तक बाहर से आने वाले व्हीकल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया. प्रयागराज की सीमा को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. ऐसे में बाहर से आने वाली गाड़ियाँ ज़िले में प्रवेश नहीं कर पा रही हैं. लिहाज़ा, हाइवे पर लंबे-लंबे जाम विकाराल रूप धारण कर चुका है. जाम में फँसे लोगों के सामने खाने-पीने के अलावा दवाई और मेडिकल असिस्टेंस जैसी बुनियादी समस्याएँ खड़ी हो गई हैं. लेकिन, इस दौरान प्रयागराज के आस-पास के ज़िलों की जनता देश और दुनिया का दिल जीत रही है. कई जगहों पर स्थानीय लोग जाम में फँसे लोगों की खाने-पीने से लेकर दवाई आदि की मदद मुहैया करा रहे हैं. कौशांबी, प्रतापगढ़ और संत रविदास नगर में जाम का भयंकर प्रकोप है.
प्रतापगढ़ में अलग-अलग खेमे में लोग सड़क पर फँसे तीर्थयात्रियों को मदद करते दिखाई दिए. प्रतापगढ़ में अंकुर केसरवानी और उनके साथ व्यापार मंडल के सहयोगी जाम में फँसे तक़रीबन 3,500 तीर्थयात्रियों के लिए मदद मुहैया करा चुके हैं. इन यात्रियों को चाय-स्नैक्स, भोजन-पानी के अलावा ज़रूरी दवाइयाँ और बच्चों के लिए दूध लगातार उपलब्ध कराया गया है. फँसे हुए यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन अंकुर और उनके साथी सेवा भाव से लगातार लोगों की मदद करने में जुटे हैं. चूँकि हाइवे पर गाड़ियाँ दूर-दूर तक फँसी हैं. लिहाज़ा, छोटे-छोटे पिकअप वाहनों के ज़रिए लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है. स्थानीय लोगों के इस प्रयास से यात्रियों को इस संकट की घड़ी में एक मदद का एहसास मिल रहा है.
विस्तार न्यूज़ से बातचतीत में अंकुर केसरवानी ने बताया, ”प्रतापगढ़ व्यापार मंडल से जुड़े तमाम साथियों ने यात्रियों के कष्ट पर फ़ौरन मदद करने का विचार बनाया. आनन-फ़ानन में हमने बजट के साथ-साथ खाने-पीने की व्यवस्था की. लेकिन, लंबे जाम में दूर-दूर तक फँसे लोगों तक खाना पहुँचाना एक बड़ा टास्क था. लिहाज़ा, हमने पिकअप वैन का इंतज़ाम किया और काफ़ी संख्या में स्थानीय युवा वॉलंटियर्स के तौर पर सामने आए. फिर ‘जहां चाह वहीं राह’ वाली कहावत चरितार्थ हो गई. लोगों तक हम मदद पहुँचने में सफल होने लगे.”
प्रतापगढ़ के अलावा कौशांबी और संत रविदास नगर के बॉर्डर एरिया में भी यही देखा जा रहा है. स्थानीय लोग जाम में फँसे लोगों की बढ़चढ़कर सहायता कर रहे हैं. विस्तार न्यूज़ से बातचीत में कौशांबी के नरेश पांडेय कहते हैं, “कुंभ में स्नान से पुण्य मिलेगा. लेकिन, संकट में फंसे लोगों की मदद करके हमारे मन को ज़्यादा शांति और पुण्य की एहसास हो रहा है.” नरेश और उनकी टीम यहाँ भी जाम में फँसे लोगों को मदद मुबैया करा रही है. पांडेय कहते हैं कि उनके द्वारा अभी तक तक़रीबन 100 लीटर दूध की सप्लाई यात्रा में फँसे बच्चे और बुजुर्गों के लिए की जा चुकी है.
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प्रयागराज की सीमा पर लाखों यात्री फँसे
अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स पर ग़ौर करें तो मौनी अमावस्या के दिन मची भगदड़ के बाद से प्रयागराज की सीमाओं पर तक़रीबन 3 लाख से ज़्यादा यात्री फँसे हैं. सिर्फ़ अगर फ़तेहपुर-प्रयागराज मार्ग की बात करें तो यहाँ 3 लाख से ज़्यादा यात्री जाम में फँसे रहे.
प्रयागराज-प्रतापगढ़ सीमा पर तक़रीबन 40 हज़ार वाहनों को रोका गया है. इसके अलावा प्रयागराज-कौशांबी सीमा पर भी 50 हज़ारों गाड़ियों का रेला है. हाइवे पर एक साथ 20-20 किलोमीटर का जाम लगा है. प्रशासन एहतियात के तौर पर लोगों से अपील कर रहा है कि वे प्रयागराज की तरफ़ न जाएँ. जहां यूँ-टर्न की सहूलियत है, वहाँ तुरंत गाड़ियों को वापस मोड़ने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है.