चट्टानी रास्ते और खड़ी चढ़ाई…केदारनाथ से कितना कठिन है अमरनाथ यात्रा?

केदारनाथ पहुंचने के लिए बेस कैंप गौरीकुंड से दूरी लगभग 16 किलोमीटर है, और तीर्थयात्री पैदल ट्रेक करना या टट्टू और पालकी सेवाओं का उपयोग करना चुन सकते हैं.
Amarnath Yatra 2024

अमरनाथ यात्रा 2024 ( फोटो- सोशल मीडिया)

Amarnath Yatra 2024: 29 जून से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होने वाली है. हर बार की तरह इस बार भी देशभर से हजारों-लाखों की संख्या में तीर्थयात्री बाबा बर्फानी का दर्शन करने यात्रा पर जाएंगे. तीर्थयात्री 19 अगस्त तक बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे. सरकार की ओर से भी लगभग सभी तैयारी कर ली गई है. अमरनाथ गुफा तक जाने के लिए दो रास्ते हैं. एक तो यात्री पहलगाम मार्ग से जा सकते हैं, हालांकि, इसकी दूरी अधिक है. इस रास्ते से जाने वाले यात्रियों को करीब 45-48 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है.

वहीं एक बालटाल मार्ग भी है. इस मार्ग से 16 किलोमीटर चलना पड़ता है. हालांकि, दोनों ही मार्ग कठिन है. ऐसे में यात्रियों के मन में सवाल उठता है कि क्या केदारनाथ से कठिन है अमरनाथ की चढ़ाई? आइये आज विस्तार से जानते हैं कि दोनों यात्रा में कितना अंतर है.

केदारनाथ और अमरनाथ की दूरी

केदारनाथ पहुंचने के लिए बेस कैंप गौरीकुंड से दूरी लगभग 16 किलोमीटर है, और तीर्थयात्री पैदल ट्रेक करना या टट्टू और पालकी सेवाओं का उपयोग करना चुन सकते हैं. ऊंचाई के मामले में अमरनाथ ट्रेक केदारनाथ से अधिक ऊंचाई पर है. अमरनाथ यात्रा के दौरान चट्टानी रास्ते, बर्फ के टुकड़े और खड़ी चढ़ाई शामिल हैं, जो ट्रेक की कठिनाई के स्तर को बढ़ाते हैं. इसके विपरीत, केदारनाथ ट्रेक अपने अधिक सुलभ मार्ग के लिए जाना जाता है. अमरनाथ यात्रा की तुलना में यह आसान भी है. सुगम रास्ते हैं. तीर्थयात्रियों के लिए ट्रेक बना हुआ है. जगह-जगह तीर्थयात्रियों को रुकने के लिए ठिकाने बनाए गए हैं.

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व्यक्तिपरक होती है भक्तों की कठिनाई

अंततः, प्रत्येक ट्रेक की कठिनाई व्यक्तिपरक होती है और व्यक्तिगत फिटनेस, ऊंचाई अनुकूलन और ट्रेकिंग अनुभव जैसे कारकों पर निर्भर करती है. दोनों तीर्थयात्राएं अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखती हैं, और भक्त अक्सर व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, शारीरिक तैयारी और शांत और पवित्र हिमालयी परिदृश्यों में एक विशेष प्रकार के ट्रेकिंग अनुभव की इच्छा के आधार पर चुनते हैं.

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