क्या मरे हुए इंसान का मांस खाते हैं अघोरी साधु? आधी हकीकत आधा फसाना

अघोरी साधना का असली लक्ष्य आत्मज्ञान प्राप्त करना है. ये साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं, और उनका मानना है कि जीवन में हर चीज़ के प्रति समभाव रखना ही असली शांति है.
Aghori Sadhu

अघोरी साधु

Maha Kumbh 2025: अघोरी साधु (Aghori Sadhu) भारत में एक खास तंत्र-मंत्र से जुड़ा पंथ है, और इनसे जुड़ी कई तरह की कहानियां और मिथक होते हैं. इनमें से एक प्रमुख अफवाह ये है कि अघोरी लोग मरे हुए इंसान का मांस खाते हैं. तो क्या ये सच है? आइए विस्तार जानते हैं!

अघोरी शब्द का मतलब होता है ‘जो घोर नहीं है’ यानी जो डरावना या खतरनाक नहीं है. अघोर साधना का उद्देश्य डर, घृणा और भेदभाव को खत्म करना है. अघोरी साधु ऐसी जगहों पर रहते हैं जहां आम लोग जाने से डरते हैं जैसे श्मशान, ताकि वो खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से किसी भी डर से मुक्त कर सकें. उनका मानना है कि अगर आप किसी भी चीज़ से डरते नहीं हो, तो सच्चे ज्ञान और आत्मा की शांति की तरफ बढ़ सकते हो.

अघोरी साधुओं का असली मकसद

अघोरी साधुओं का मुख्य उद्देश्य मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करना है. इनका विश्वास है कि जीवन में किसी भी प्रकार की घृणा, भेदभाव या डर को समाप्त करके ही सच्ची मुक्ति मिल सकती है. यही वजह है कि ये लोग उन चीज़ों से भी संपर्क करते हैं जिन्हें आम लोग घृणा करते हैं, जैसे मरे हुए शरीर या शव की राख, ताकि वे अपने भीतर की नफरत और डर को खत्म कर सकें.

मरे हुए इंसान का मांस खाने की अफवाह

अब, क्या अघोरी साधु सच में मरे हुए इंसान का मांस खाते हैं? इस पर जो अफवाहें फैली हैं, वो पूरी तरह से गलत हैं. दरअसल, ये साधु शवों के पास रहकर अपनी साधना करते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना या मांस खाना नहीं है. ये सब कुछ मानसिक शुद्धता और आत्मज्ञान की दिशा में एक कदम है, जहां वे समाज के ‘पवित्र’ और ‘अपवित्र’ के बीच के फर्क को मिटाने की कोशिश करते हैं.

अघोरी साधु शवों का इस्तेमाल अपनी साधना में करते हैं, जैसे उनकी राख का प्रयोग करना, लेकिन ये केवल प्रतीकात्मक होता है, और इसका उद्देश्य किसी प्रकार की घृणा या डर को अपनाना नहीं होता.

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आत्मज्ञान प्राप्ति की ओर अघोरी

अघोरी साधना का असली लक्ष्य आत्मज्ञान प्राप्त करना है. ये साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं, और उनका मानना है कि जीवन में हर चीज़ के प्रति समभाव रखना ही असली शांति है. अघोरी साधु आत्मा की गहरी समझ के लिए शारीरिक और मानसिक घृणा को छोड़ने की कोशिश करते हैं.

तो, संक्षेप में कहें तो अघोरी साधुओं के बारे में फैली हुई अफवाहें, जैसे वे मरे हुए इंसान का मांस खाते हैं, पूरी तरह से गलत हैं. इनका असली मकसद आत्मज्ञान, मानसिक शांति, और भेदभाव को समाप्त करना है. अघोरी साधु अपनी साधना के माध्यम से खुद को और समाज को बिना डर और घृणा के एक बेहतर रूप में देखना चाहते हैं.



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