जब भगवान राम ने रावण से करवाई थी पूजा, जानें क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

रावण सीता को पूजा के लिए लाता है. पूजा के बाद जब भगवान राम और सीता आशीर्वाद लेने के लिए पुजारी यानी रावण के पैर छूने के लिए झुकते हैं, तो रावण 'विजयी भव: का आशीर्वाद भी देता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर

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Story of Ram: रावण को हराने के लिए भगवान राम को लंका तक पहुंचना था. इसलिए उन्होंने समुद्र पर एक सेतु बनाने की सोची. अपनी तैयारी शुरू करने से एक रात पहले उन्होंने रामेश्वरम में शिव की पूजा के लिए एक यज्ञ आयोजित करने का फैसला किया. चूंकि वह अपने सबसे शक्तिशाली दुश्मन में से एक से लड़ने जा रहे थे. इसलिए उन्हें अपने लिए यज्ञ कराने के लिए सबसे विद्वान पुजारी की जरूरत आन पड़ी. इसके बाद राम ने रावण को निमंत्रण भेजा. रावण ने न सिर्फ राम का निमंत्रण स्वीकार किया बल्कि रामेश्वरम पहुंचकर यज्ञ को सफल कराया. आइये विस्तार से राम और रावण की यही कहानी जानते हैं.

भगवान राम रावण के विरुद्ध युद्ध में विजयी होने के लिए एक शिवलिंग स्थापित कर उसकी पूजा करना चाहते थे. अब ऐसा करने के लिए एक पुजारी की आवश्यकता थी, लेकिन उन दिनों रामेश्वरम में कोई पुजारी नहीं मिलते थे. इसलिए भगवान राम को अनुष्ठान करने के लिए एक अच्छे पुजारी की  जरूरत थी. किंवदंतियों के अनुसार, रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और जन्म से ब्राह्मण भी था. रावण के भाई विभीषण ने भगवान राम को बताया कि रावण अनुष्ठानों में बहुत पारंगत है. इसलिए भगवान राम ने रावण को रामेश्वरम में पूजा के लिए पुजारी के रूप में आने का निमंत्रण भेजा.

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रावण ने निमंत्रण स्वीकार किया और चला आया, लेकिन फिर उन्होंने भगवान राम से कहा कि उनकी पत्नी की उपस्थिति के बिना पूजा अधूरी होगी. कोई भी पूजा या यज्ञ पत्नी की उपस्थिति के बिना नहीं किया जा सकता. इसलिए उन्होंने भगवान राम से कहा, “चूंकि आप एक विवाहित व्यक्ति हैं, इसलिए आपको और आपकी पत्नी दोनों को पूजा के लिए एक साथ बैठना होगा, अन्यथा आप पूजा नहीं कर सकते.”

तब भगवान राम ने उनसे कहा, “जो कुछ मेरे पास नहीं है उसका विकल्प बताना पुजारी का कर्तव्य है. मेरी पत्नी मेरे साथ नहीं है (उस समय उसे रावण ने कैद में रखा हुआ था), कृपया मुझे बताएं कि इस समस्या का क्या विकल्प है? क्या हम उसके स्थान पर विकल्प के तौर पर एक गुड़िया रख सकते हैं? तब रावण ने कहा, ‘मैं विकल्प में विश्वास नहीं करता’ मैं चाहता हूं कि भगवान शिव की पूजा के लिए सब कुछ मौजूद हो इसलिए मैं आपकी पत्नी को पूजा के लिए यहीं बुलाऊंगा’ पूजा के बाद कृपया उसे वापस लंका भेज दें.”

रावण सीता को पूजा के लिए लाता है. पूजा के बाद जब भगवान राम और सीता आशीर्वाद लेने के लिए पुजारी यानी रावण के पैर छूने के लिए झुकते हैं, तो रावण ‘विजयी भव: का आशीर्वाद देता है. बाद में भगवान राम सागर पर सेतु बनाकर लंका पर चढ़ाई करते हैं. राम और रावण में भीषण युद्ध होता है. इस युद्ध में भगवान राम की जीत होती है. इसके बाद वो अपनी पत्तनी सीता के साथ अपने देश अयोध्या लौटते हैं.

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