भगवान शिव के क्रोध से जहां आज भी उबलता है नदी का पानी, चमत्कार ऐसा कि विज्ञान भी फेल, जानें रहस्यमयी कहानी
Mythological Story: भारत में भगवान शिव के कई प्राचीन और चमत्कारी मंदिर हैं, जिनमें से मणिकरण का शिव मंदिर एक खास स्थान रखता है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के पास स्थित यह मंदिर अपने उबलते पानी के लिए प्रसिद्ध है, जो सर्दियों में भी गर्म रहता है. यह एक ऐसा रहस्य है जिसे आज तक वैज्ञानिक भी हल नहीं कर पाए हैं. आइए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर और इसके उबलते पानी से जुड़ी मान्यताओं और कथा के बारे में विस्तार से.
मणिकरण शिव मंदिर कहां है?
मणिकरण, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है. यह स्थल न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण है. मणिकरण के पास बहने वाली पार्वती नदी के किनारे यह शिव मंदिर स्थित है. इस नदी के एक ओर भगवान शिव का मंदिर है, जबकि दूसरी ओर सिखों का ऐतिहासिक गुरुद्वारा मणिकरण साहिब है.
यह मंदिर इस कारण भी खास है क्योंकि यहां का पानी साल भर उबलता रहता है. सर्दी हो या गर्मी, इस पानी की तापमान में कोई बदलाव नहीं आता, और यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है.
शिव मंदिर से जुड़ी कथा
मणिकरण के शिव मंदिर से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है, जो इस उबलते पानी के कारणों को समझने में मदद करती है. कथानुसार, एक बार माता पार्वती अपने स्वर्ण मणि को नदी में खेलते हुए खो बैठीं, जो बहते हुए पाताल लोक में पहुंच गई. भगवान शिव ने मणि को ढूंढने के लिए अपने गणों को भेजा, लेकिन वे मणि को नहीं खोज पाए. इस पर भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोल लिया, जिससे महादेव के क्रोध के कारण नदी का पानी उबलने लगा.
भगवान शिव के इस विकराल रूप को देखकर नैना देवी प्रकट हुईं और उन्होंने पाताल लोक में जाकर शेषनाग से मणि वापस लौटाने का अनुरोध किया. शेषनाग ने मणि को पाताल लोक से निकालकर भगवान शिव के पास लौटा दिया. इसके बाद भगवान शिव ने उस मणि को पत्थर बना कर नदी में डाल दिया और नदी का पानी शांत हो गया.
उबलते पानी की मान्यता
मणिकरण के उबलते पानी को लेकर कई मान्यताएं हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां स्नान करने से त्वचा के रोग समाप्त हो जाते हैं. यही नहीं, इस पानी को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है, जिससे शारीरिक बीमारियों का उपचार भी किया जा सकता है. इसके अलावा, यहां के पानी को एक प्रकार की आशीर्वाद से जोड़ा जाता है, जो भगवान शिव की कृपा का प्रतीक माना जाता है.
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श्रीराम की तपस्या स्थल
मणिकरण के बारे में एक और मान्यता यह है कि भगवान श्रीराम ने यहां कई बार भगवान शिव की आराधना और तपस्या की थी. इस कारण मणिकरण को भगवान राम की तपस्या स्थली भी माना जाता है. आज भी मणिकरण में भगवान राम का एक प्राचीन और भव्य मंदिर है, जो इस स्थान के धार्मिक महत्व को और बढ़ाता है.
यह स्थान धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है और यहां की कहानी और मान्यताएं आज भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं. चाहे आप एक श्रद्धालु हों या वैज्ञानिक, मणिकरण का रहस्य हर किसी को अपनी ओर खींचता है, और इसके उबलते पानी का रहस्य अब तक कोई नहीं सुलझा पाया है.