सरकार की ओर से सख्त लहजे में कहा गया है कि कथित दुरुपयोग के बारे में कई बार चेतावनियां दिए जाने के बाद भी SBI और PNB ने अपनी ओर से कोई कदम नहीं उठाया. जिसकी वजह से ये फैसला किया गया है.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जनता के लिए जानकारी की उपलब्धता के बावजूद, बैंक ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम - धारा 8(1)(ई) के तहत दो छूट धाराओं का हवाला देते हुए चुनावी बांड योजना के विवरण का खुलासा करने से इनकार कर दिया है.
Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड पर चर्चा के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ की वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पर की गई एक टिप्पणी काफी चर्चा में बनी हुई है.
Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर काफी लंबे समय से जारी विवाद अब थमता हुआ नजर आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट की आदेश के बाद अब इस स्कीम को बैन कर दिया गया है.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड भुनाने वाली पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके, जेडीएस, राकांपा, टीएमसी, जदयू, राजद, आप और सपा शामिल हैं.
चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर पीडीएफ अपलोड किए हैं. जिसमें सारा डेटा दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड से सभी राजनीतिक पार्टियों को चंदा मिला है. हालांकि, सबसे ज्यादा कमाई बीजेपी की हुई है.
Electoral Bond: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है. यह हलफनामा SBI के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा की तरफ से दाखिल किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें इस डेटा को जारी करने की समय सीमा 6 मार्च बढ़ाने की मांग की गई थी.
Electoral Bonds: कोर्ट के आदेश के अनुसार बैंक को इस चुनावी ब्रॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी अपने अधिकारिक वेबसाइट पर साझा करनी होगी.