Maharashtra Politics: रायगढ़ शिवसेना का गढ़ माना जाता है. शिंदे गुट यहां खुद को असली शिवसेना बताता रहा है. लेकिन अब अजित का उद्धव से हाथ मिलाना शिंदे के लिए बड़ा झटका है. क्योंकि वोट बंटेगा, अजित के कार्यकर्ता अब उद्धव के पक्ष में प्रचार करेंगे. इतना ही नहीं, शिंदे गुट को अब अकेले ही सारी सीटें संभालनी होंगी.
Maharashtra Politics: शिवसेना पिछले 9 साल से बेस्ट क्रेडिट सोसाइटी पर राज कर रही थी. यह सोसाइटी बेस्ट के कर्मचारियों के लिए एक अहम मंच है, जहां उनकी आर्थिक और सामाजिक जरूरतों का ध्यान रखा जाता है.
ठाकरे ने बताया कि कैसे MVA ने लोकसभा चुनाव में कुछ ऐसी सीटें अपने सहयोगियों को दे दीं, जिन्हें उनकी पार्टी (शिवसेना) पहले कई बार जीत चुकी थी. यह बात उन्हें आज भी अखरती है. विधानसभा चुनाव के दौरान तो सीट बंटवारे पर आखिरी दम तक खींचतान चलती रही.
राजनीति में किसी की दुश्मनी स्थायी नहीं होती है और ये बात महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया कुछ सालों की घटनाओं से बेहतर कौन बयां कर सकता है.
Uttar Pradesh: अखिलेश यादव के करीबी राजीव राय ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर टैग करते हुए एक तीखी चेतावनी दी है.
महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच शनिवार को राज ठाकरे ने कहा था कि अगर किसी की पिटाई करते हैं तो उसका वीडियो ना बनाएं. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम गुंडे हैं.
कांग्रेस नेतृत्व अपने सहयोगी उद्धव को भी नाराज नहीं करना चाहता है. 2024 लोकसभा चुनाव के बाद से इंडिया ब्लॉक पहले से ही बिखरा नजर आ रहा है.
Thackeray Brothers: 2024 के चुनावों में हार और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के उभरने से उद्धव की सियासी विरासत खतरे में आ गई है. इस साल होने वाली BMC चुनाव उनके लिए आखिरी मौका हो सकता है. MNS की लगातार हार और राज ठाकरे की घटती लोकप्रियता ने उन्हें गठबंधन की ओर धकेला है.
बीजेपी को इस किट वितरण से फायदा होगा या नहीं, यह तो चुनावी नतीजे ही तय करेंगे, लेकिन एक बात तय है कि यह अभियान राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा का विषय बन गया है. कुछ लोग इसे बीजेपी की सच्ची प्रतिबद्धता मान रहे हैं, जबकि दूसरे इसे केवल चुनावी प्रचार का हिस्सा मान रहे हैं.
MVA के नेताओं ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि उनके चुनावी उम्मीदवारों और विधायकों को कोई नुकसान न हो. सूत्रों के अनुसार, नतीजों से पहले ही दोनों नेताओं ने मुंबई में सभी उम्मीदवारों के लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था की है, ताकि जीतने वाले विधायक सुरक्षित रह सकें और महायुति के दबाव से बच सकें.