वक्फ बोर्ड की नजर सिर्फ स्मारकों पर ही नहीं, बल्कि आदिवासी इलाकों की जमीन पर भी थी. मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में वक्फ ने वहां की जमीनों को अपनी संपत्ति बताना शुरू कर दिया था. जबलपुर और छिंदवाड़ा जैसे इलाकों में तो स्थानीय आदिवासी भड़क उठे और आंदोलन तक शुरू हो गए.
Waqf Amendment Bill: मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में वक्फ संशोधन बिल को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल से मुसलमानों को क्या फायदा होगा?
AIMPLB: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल के पेश होने के खिलाफ कड़ा विरोध जताया है. AIMPLB ने चेतावनी दी है कि अगर वक्फ बिल संसद में पारित हुआ तो देशव्यापी आंदोलन करेंगे.
पिछड़े मुस्लिमों की आवाज उठाने वाला ये संगठन बिल को 85% मुस्लिमों के लिए फायदेमंद मानता है. संगठन का कहना है कि वक्फ संपत्तियों पर 'अशराफ' (अगड़ी जाति) मुस्लिमों का कब्जा है, जो गरीब मुस्लिमों के हक को दबा रहे हैं.
वक्फ बिल को लेकर दो पक्ष हैं—सरकार और समर्थक इसे जरूरी सुधार मानते हैं, जबकि विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे खतरा बता रहे हैं. दोनों की बातें ऐसे समझिए. सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास 9.4 लाख एकड़ जमीन है, जिसकी कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. सरकार कहती है कि इसका गलत इस्तेमाल रोकने के लिए नियम सख्त करना जरूरी है.
क्या हो सकता है समाधान? इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार को वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को अपडेट करने, अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और वक्फ बोर्ड को ज्यादा अधिकार देने की जरूरत है. इसके साथ ही, राज्य सरकारों को इस दिशा में सहयोग बढ़ाना होगा, ताकि वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन और संरक्षण हो सके.
Waqf Board: शनिवार को वक्फ ने महाराष्ट्र के लातूर जिले में 100 से अधिक किसानों की जमीन पर दावा किया है. जिस जमीन पर दवा ठोका गया है उसपर किसान कई पीढ़ियों से खेती करते रहे हैं.
Bihar: वक्फ कानून संशोधन विधेयक को लेकर बनी वक्फ संसदीय समिति 12 नवंबर को राजधानी पटना पहुंचेगी. इसके बाद यह समिति 13 नवंबर को बिहार सरकार और वक्त बोर्ड से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं से मिलकर बातचीत करेगी.
Waqf Board: वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किए जाने स्मृति ईरानी ने कहा, 'उस दिन सदन में हमारे पास सर्वसम्मति थी और संख्या भी पर्याप्त थी. लेकिन फिर भी हमने संयुक्त समिति के लिए इस पर विचार किया ताकि हर राजनीतिक दृष्टिकोण और आम नागरिक जेपीसी के समक्ष अपनी राय रख सकें, आकर अपनी बात रख सकें.'