कनाडा चुनाव में उलटफेर, खालिस्तानी नेता जगमीत सिंह और ट्रूडो की करारी हार, जानें कैसे पल में पलट गया ‘गेम’

कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी भी इस बार हार गई. ट्रूडो का शासन कई सालों तक रहा, लेकिन इस बार जनता का मूड कुछ और था. इसके पीछे एक बड़ा कारण था अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियां.
Canada Election 2025

जगमीत सिंह की हार

Canada Election 2025: कनाडा में हाल ही में हुए आम चुनाव ने सबको चौंका दिया है. खालिस्तान समर्थक नेता और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के प्रमुख जगमीत सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की पार्टी भी सत्ता से बाहर हो गई है. इस चुनाव में मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने शानदार जीत हासिल की और एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है. आइए, इस चुनाव के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं.

जगमीत सिंह की हार का क्या मतलब?

जगमीत सिंह कनाडा की राजनीति में एक बड़ा नाम रहा हैं. उनकी पार्टी एनडीपी का कोर वोट खालिस्तान समर्थन रहा है. जगमीत खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे लोगों का बचाव करने के कारण अक्सर चर्चा में रहते हैं. लेकिन इस बार के चुनाव में उनकी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. जगमीत ब्रिटिश कोलंबिया की बर्नेबी सेंट्रल सीट से चुनाव लड़े थे. यहां उन्हें लिबरल पार्टी के वेड चांग ने हरा दिया. जगमीत को सिर्फ 27.3% वोट मिले, जबकि चांग को 40% से ज्यादा.

पार्टी का बुरा हाल

एनडीपी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए कम से कम 12 सीटें जीतनी थीं, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए. नतीजतन, उनकी पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा खतरे में है. हार के बाद जगमीत ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा, “मैं इस हार से निराश हूं, लेकिन मुझे अपनी पार्टी के भविष्य पर भरोसा है.” जगमीत की हार ने खालिस्तान समर्थकों के लिए भी बड़ा झटका दिया है, क्योंकि उनकी राजनीतिक ताकत अब काफी कम हो गई है.

जस्टिन ट्रूडो क्यों हारे?

कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी भी इस बार हार गई. ट्रूडो का शासन कई सालों तक रहा, लेकिन इस बार जनता का मूड कुछ और था. इसके पीछे एक बड़ा कारण था अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियां.

ट्रंप ने कनाडा को “अमेरिका का 51वां राज्य” कहकर मजाक उड़ाया और ट्रूडो को “गवर्नर” तक कह डाला. साथ ही, उन्होंने कनाडा के साथ व्यापार युद्ध की धमकी भी दी. इससे कनाडाई लोगों को लगा कि ट्रूडो अब प्रभावी नेता नहीं रहे. ट्रूडो की पार्टी को जनता ने नकार दिया, और उनकी जगह मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी को मौका मिला.

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मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी की जीत

मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया. कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के शुरुआती रुझानों के मुताबिक, कार्नी की पार्टी फिर से सरकार बनाएगी. इस जीत के पीछे कई कारण रहे. इसमें ट्रंप की टिप्पणियों ने कनाडाई लोगों में राष्ट्रीय गर्व को जगाया. लोगों को लगा कि कार्नी की पार्टी देश को बेहतर नेतृत्व दे सकती है.

शुरुआत में लिबरल पार्टी के पक्ष में माहौल नहीं था, लेकिन ट्रंप के बयानों ने माहौल पलट दिया. लोग ट्रूडो की जगह नए चेहरे को मौका देना चाहते थे.

इस चुनाव का असर क्या होगा?

जगमीत सिंह की हार से खालिस्तान समर्थकों की ताकत कमजोर हुई है. उनकी पार्टी अब पहले जैसी प्रभावशाली नहीं रही.मार्क कार्नी की जीत से कनाडा की नीतियों में बदलाव आ सकता है, खासकर अमेरिका के साथ व्यापार और विदेश नीति में. वहीं, ट्रूडो की हार के बाद उनकी राजनीतिक वापसी मुश्किल हो सकती है.

कनाडा का यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा. जगमीत सिंह और जस्टिन ट्रूडो जैसे बड़े नेताओं की हार ने दिखाया कि जनता का मूड कितनी जल्दी बदल सकता है. मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी अब कनाडा की बागडोर संभालेगी, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे देश को किस दिशा में ले जाते हैं.

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