संभल के बाद अब काशी में 40 साल से बंद मंदिर में पूजा की मांग,सनातन रक्षा दल ने उठाई आवाज, माहौल गरम!
UP News: उत्तर प्रदेश के काशी शहर में एक मंदिर को लेकर एक नया विवाद सामने आया है. काशी के मदनपुरा गली में स्थित एक मंदिर पिछले 40 वर्षों से बंद पड़ा हुआ है. सोमवार को इस बंद पड़े मंदिर को लेकर सनातन रक्षा दल के कार्यकर्ता वहां पहुंचे और उन्होंने मंदिर में पूजा शुरू करने की मांग उठाई.
मंदिर के बंद होने की जानकारी मिलने के बाद सनातन रक्षा दल के कार्यकर्ता इस स्थान पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि मंदिर के दरवाजे बाहर से बंद थे और अंदर मिट्टी से भरा हुआ था. स्थानीय निवासियों से बातचीत करने पर यह पता चला कि मंदिर कई वर्षों से बंद पड़ा हुआ है और इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई. मंदिर के पास पहले एक हिंदू परिवार का घर था, जो बाद में इसे बेचकर कहीं और चला गया. इसके बाद यह मंदिर बंद हो गया.
3-4 सौ साल पुराना मंदिर!
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर 3-4 सौ साल पुराना है और इसमें प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव की पूजा होती थी. पिछले 40 वर्षों से यह मंदिर बंद पड़ा हुआ है और अब सनातन रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने मंदिर को फिर से खोलने और पूजा शुरू करने की अनुमति देने की मांग की है.
जब कार्यकर्ता मंदिर के पास पहुंचे, तो उन्होंने इसके बंद होने की स्थिति को देखा और इस मुद्दे को उठाया. इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को शांत किया और मंदिर में पूजा शुरू करने के लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
कोई ठोस जानकारी नहीं- प्रशासन
इस बीच, पुलिस अधिकारियों ने इलाके के आसपास के लोगों से जानकारी जुटाई, लेकिन मंदिर के बंद होने के कारणों और इसकी वर्तमान स्थिति को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई. दशाश्वमेध थाना प्रभारी प्रमोद कुमार ने बताया कि वे मंदिर से संबंधित जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं और इस मामले में जांच जारी है.
प्रशासन ने हाल ही में संभल जिले में 46 साल से बंद पड़े मंदिर में पुलिस ने ताला खोलकर सफाई करवाई और पूजा शुरू कराई. वर्तमान में काशी में भी मंदिर को लेकर चर्चा तेज हो गई है और लोग इस मंदिर में फिर से पूजा शुरू करने के पक्ष में हैं. काशी के स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इस मामले पर ध्यान दिया है और सुरक्षा बढ़ाते हुए स्थिति को शांत रखने का प्रयास किया है.
इस मामले में अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मंदिर को फिर से खोलने की अनुमति देता है या नहीं, और यह विवाद आगे किस दिशा में बढ़ता है.