Lok Sabha Election: पश्चिम से पूर्वांचल तक, यूपी की सियासत में कितने असरदार हैं भूमिहार वोटर्स?

Lok Sabha Election 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में त्यागी समाज को भूमिहार समाज माना जाता है. वेस्टर्न यूपी में गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, बिजनौर, सहारनपुर में भूमिहार मतदाताओं को कोई भी राजनीतिक दल नजरअंदाज नहीं कर सकता.
Lok Sabha Election 2024

श्रीकांत त्यागी, अजय राजय, मनोज सिन्हा

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में भूमिहार समाज की आबादी भले ही 3 प्रतिशत के आसपास है, लेकिन पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक की सियासत में इस समाज के नेताओं की मजबूत पकड़ है. खासकर पूर्वांचल इलाके के कुछ सीटों पर भूमिहार समाज के नेताओं ने कई बार जीत दर्ज कर अपनी पकड़कर को साबित कर चुके हैं. जैसे पूर्वांचल में यह समाज ताकतवर है, वैसे ही पश्चिमी यूपी में त्यागी समुदाय का रसूख दिखाई देता है.

बताते चलें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में त्यागी समाज को भूमिहार समाज माना जाता है. वेस्टर्न यूपी में गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, बिजनौर, सहारनपुर में भूमिहार मतदाताओं को कोई भी राजनीतिक दल नजरअंदाज नहीं कर सकता. क्योंकि यहां के कुछ सीटों पर यह समाज निर्णायक भूमिका में रहता है. यह समाज इतनी शक्तिशाली है कि अपने प्रभाव वाले सीटों पर नतीजे बदल सकता है.

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पूर्वांचल की सियासत में भूमिहार समाज की भूमिका

पूर्वांचल की सियासत भूमिहार नेताओं और मतदाताओं के चर्चा के बिना अधूरी मानी जाती है. इस क्षेत्र से आने वाले- गोरखपुर, वाराणसी, आजमगढ़, बलिया, घोसी, गाजीपुर, चंदौली, कुशीनगर, देवरिया, सलेमपुर मिर्जापुर, अंबेडकर नगर और जौनपुर की सीटों पर भूमिहार समाज के मतदाता और नेताओं का असर हैं. लेकिन इनमें से घोसी, बलिया, गाजीपुर और वाराणसी में भूमिहार नेताओं का अलग दबदबा है.

पूर्वांचल के अगर भूमिहार मतदाताओं की अधिकता वाले जिलों की बात की जाए तो इनमें बलिया, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, जौनपुर, देवरिया, मिर्जापुर, चंदौली, भदोही, महाराजगंज, गोरखपुर संत कबीर नगर प्रमुख हैं.

घोसी में 12 बार जीते भूमिहार नेता

पूर्वांचल की घोसी लोकसभा सीट, यह एक ऐसी सीट है जहां से अब तक भूमिहार नेताओं को 12 बार जीत मिल चुकी है. इस समाज से आने वाले कल्पनाथ राय चार बार घोसी से जीतकर लोकसभा तक पहुंचे हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि कल्पनाथ राय इंदिरा गांधी व नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं. पिछले चुनाव यानी की 2019 में बहुजन समाज पार्टी से चुनाव जीतने वाले अतुल राय भी भूमिहार समाज से आते हैं. घोसी के बाद अगर हम गाजीपुर की ओर बढ़े तो यहां से भी चार बार भूमिहार नेता ही चुनाव जीते हैं. गाज़ीपुर सीट से एक बार गौरी शंकर राय और तीन बार मनोज सिन्हा सांसद रहे. वर्तमान समय में मनोज सिन्हा जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल हैं.

यही नहीं समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे कुंवर रेवती रमण सिंह भी भूमिहार समाज के बड़े नेता थे. उन्होंने बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को प्रयागराज सीट से चुनावी मैदान में पछाड़ चुके हैं.

बलिया में डेढ़ लाख भूमिहार मतदाता

उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर यानी की बलिया लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां भूमिहार समाज के डेढ़ लाख और आजमगढ़ में लगभग 1 लाख मतदाता है. वहीं, वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में भूमिहार मतदाताओं की संख्या तकरीबन डेढ़ लाख के आसपास है. बलिया में डेढ़ लाख मतदाता होने के बावजूद भी भूमिहार समाज का कोई भी नेता लोकसभा तक नहीं पहुंच सका. इसी तरह आजमगढ़, भदोही, मिर्जापुर से भी भूमिहार समाज का कोई नेता लोकसभा चुनाव में नहीं जीत सका.

अजय राय को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान

पूर्वांचल के राजनीति में भूमिहार मतदाताओं और नेताओं के वर्चस्व को देखते हुए कांग्रेस ने इस बिरादरी से आने वाले अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी है. अजय राय एक बार फिर लोकसभा चुनाव में वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में भूमिहार समुदाय से दो कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. इनमें सूर्य प्रताप शाही और अरविंद कुमार शर्मा शामिल हैं.

बीजेपी ने अश्विनी त्यागी को पश्चिम उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया तो उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाकर त्यागी समाज को बीजेपी से जोड़ने की कोशिश की. पश्चिम उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पद से हटने के बाद त्यागी को प्रदेश बीजेपी का महामंत्री भी बनाया गया.

यूपी से चुनावी मैदान में भूमिहार समाज के नेता

बता दें कि 2024 लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों ने भूमिहार समाज के कई नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है. प्रयागराज सीट से सपा ने भूमिहार बिरादरी से आने वाले उज्जवल रमण व घोसी सीट से राजीव राय पर दांव लगाया है. वहीं, बीजेपी ने गाजीपुर में पारसनाथ राय को चुनाव मैदान में उतारा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में त्यागी समाज की अच्छी संख्या को देखते हुए बसपा ने मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से देवव्रत त्यागी को उम्मीदवार बनाया है.

बीजेपी से नाराज श्रीकांत त्यागी की अलग राह

वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पूर्व नेता रहे श्रीकांत त्यागी ने अब राष्ट्रवादी नवनिर्माण दल का गठन किया है. श्रीकांत त्यागी के मुताबिक, बागपत लोकसभा क्षेत्र में त्यागी समुदाय के मतदाताओं की संख्या 1 लाख, गाजियाबाद में 1.30 लाख, मेरठ में 1.60 लाख, मुजफ्फरनगर में 1.40 लाख वोट हैं. इसके अलावा सहारनपुर में इस समुदाय के 1.30 लाख और बिजनौर में 1.68 लाख वोट हैं. लेकिन, बीजेपी से नाराजा चल रहे श्रीकांत त्यागी की पार्टी राष्ट्रवादी नवनिर्माण दल का कहना है कि वे लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए काम कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों ने भूमिहारों को लुभाने की कोशिश की है. बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों पर इस समाज के नेताओं का विरोध झेलना पड़ा है. ऐसे में देखना होगा कि लोकसभा चुनाव 2024 में पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक भूमिहार समाज के मतदाता बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बसपा में से किसका साथ देंगे?

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